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आज आया गोंदिया के विशेष सत्र न्यायालय का फैसला..
प्रतिनिधि। 25 फरवरी
गोंदिया। 6 साल पूर्व अप्रैल 2016 में जिले के केशोरी थाना क्षेत्र अंतर्गत रास्ते से घर लौट रही पीड़ित छात्रा का दो आरोपियों द्वारा रास्ता रोककर उसका शीलभंग करने के मामले पर आज विशेष सत्र न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों को दोषी करार देकर उन्हें 5 साल की सश्रम कारावास व 5 हजार दंड की सजा सुनाई।
इस मामले पर सरकार की ओर से पैरवी विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी पारधी ने की। सरकारी वकील ने न्यायालय के समक्ष कुल 9 गवाहदार प्रस्तुत किये। जिला व सत्र न्यायालय गोंदिया के प्रमुख व सत्र न्यायाधीश श्री एस. ए. ए.आर औटी ने दोनों पक्षो की सुनवाई, गवाह, सबूतों के आधार पर अहम फैसला सुनाते हुए दोनो आरोपी 1. नीलेश हरिराम तुलावी उम्र 30 वर्ष, निवासी चिचोली (जूनी) तहसील अर्जुनी मोरगाँव जिला गोंदिया, 2.प्रदीप अंताराम कोरेटी उम्र 30 वर्ष निवासी खेड़ेगाव पोस्ट गेवर्धा तहसील कुरखेडा जिला गडचिरोली को दोषी मानकर भादवि की धारा 294, 34 के तहत 3 माह की सजा एवं 500 रुपये दंड, दंड न भरने पर 15 दिन अतिरिक्त सजा, धारा 341 भादवी के तहत 1 माह की सजा 500 रुपये दंड, दंड न भरने पर 7 दिन की सजा, धारा 8 लैंगिक अपराध बाल सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत 5 साल की सजा व 5 हजार रुपये दंड, दंड न भरने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई। इसके साथ ही दोनों आरोपियों से जुर्माने के रूप में 11-11 हजार रूपये दंड की सजा दी व इस रुपये को पीड़िता को देने के आदेश तथा मनोधैर्य योजना अंतर्गत जिला विधि सेवा प्राधिकरण गोंदिया को प्रस्तुत प्रकरण में पीड़िता की देखभाल के लिए इस योजना के तहत भरपाई देने हेतु आदेशित किया।
क्या था प्रकरण…
ये प्रकरण 13 अप्रैल 2016 को केशोरी थाना क्षेत्र में घटित हुआ। फिर्यादि पीड़िता की रिपोर्ट अनुसार वो सुबह कॉलेज गई थी, वहां से खाना खाने अपनी मौसी के घर गई और वहां से वापस घर के लिए साइकिल से रवाना हुई थी। रास्ते से जाते वक्त आरोपी प्रदीप कोरेटी, नीलेश तुलावी ने अपनी बाइक सामने लाकर उसे रोका। आरोपी प्रदीप कोरेटी ने पीड़िता की ओढ़नी खींचकर उससे अश्लील शब्द का प्रयोग कर उसकी साइकिल को धकेल दिया एवं उसका सर पकड़कर उसे रास्ते से लगे खेत मे ले गया। वहां आरोपी में हाथ से उसका गाल दबाया व उसका शीलभंग किया।
इसमें दूसरा आरोपी नीलेश तुलावी ने बाइक को उसके पास रोककर अपराध में आरोपी प्रदीप को साथ दिया और उसे साथ ले जाने में मदद की। इस मामले पर केशोरी थाने में भादवि की धारा 354, 354 अ(2), 294, 341, 504, 509, 34 एव कलम 8, 12 लैंगिक अपराध बाल संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत अपराध दर्ज कर जांच अधिकारी गणेश एस नावकार ने चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की थी।
कोर्ट ने इस फैसले पर कहा, की इस प्रकरण में विनयभंग की घटना को आँखों से देखना व खामोश रहना तथा आरोपी को लेकर जाना, मदद करना भी विनयभंग जैसा ही अपराध है।