गोंदिया: हमें ब्रिज नहीं, बैराज चाहिए…बिना ग्राम पंचायत के अनुमति के 1माह से काम शुरू

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डांगोरली-साकड़ी वैनगंगा नदी ब्रिज के निर्माण के खिलाफ किसान परिषद ने उठाई मांग, अगर बैराज नहीं बना तो, 50 हजार लोग श्रम दान से बनाएंगे बैराज

हकीक़त टाइम्स।
गोंदिया। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के दोनों जिले गोंदिया-बालाघाट से बहने वाली वैनगंगा नदी पर गोंदिया के डांगोरली नदी घाट से बालाघाट के बेनी/साकड़ी नदी घाट के बीच नदी पर ब्रिज का कार्य प्रारंभ किया गया है। इस ब्रिज के निर्माण कार्य प्रारंभ होने से डांगोरली ग्राम पंचायत से कोई अनुमति प्रदान नही की गई, और ना ही भविष्य की प्लानिंग के बारे में बताया गया।
   इस ब्रिज के निर्माण पर डांगोरली ग्राम के लोगो को बिना विश्वास में लेकर शुरू निर्माण कार्य पर किसान परिषद ने आपत्ति उठाकर इसका विरोध प्रकट किया है। किसान परिषद के अध्यक्ष एवं टेड़वा ग्राम के सरपंच गोविंद तुरकर ने आरोप लगाया कि, सभी जनप्रतिनिधियों ने सिर्फ खुद के फायदे के लिए सफेद हाथी के रूप में तैयार करोड़ो रुपयों की उपसा सिंचन योजना बनाई, पर 19 गाँव को आज तक एक बूंद भी पानी नही मिला। 6 साल से हम वैनगंगा नदी पर बैराज की मांग कर रहे है, पर किसानों की बातों को अनसुना कर ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा। हमें बैराज की जरूरत है और ये हमें ब्रिज देकर फिर हमारी जमीनों पर बुलडोजर चलाएंगे।
   डांगोरली नदी घाट के समीप किसान परिषद का आयोजन कर, वहां पत्रकारों को बताते हुए किसान परिषद के अध्यक्ष गोविंद तुरकर ने कहा, वैनगंगा नदी हमारे सिरहाने से बह रही है, और हम एक गिलास पानी के लिए तरस रहे है। इन जनप्रतिनिधियों ने तानाशाह की तरह करोड़ो रुपयों की टेड़वा-सिवनी-डांगोरली उपसा सिंचन योजना तैयार की। अनेको किसानों की खेत जमीन अधिग्रहित की, पर पानी की एक बूंद भी नही मिली।
   गोविंद तुरकर ने कहा, जिस जगह से उपसा सिंचन योजना तैयार की गई है, वो नदी के पात्र का ढलान भाग है, जहा सिर्फ बारिश में पानी रहता है जबकि ग्रीष्म, शीत में पानी नही रहता। इसी जगह से गोंदिया को भी वॉटर सप्लाय किया जाता है। दो साल पूर्व करीब 1 हजार लोगों ने श्रमदान कर हजारों सीमेंट की बोरी नदी में पार के रूप में बनाकर पानी को रोकने का कार्य किया था, जिससे हमने ग्रीष्म फसल ली और कुंवो का वाटर लेबल भी बढ़ा।
   सरकार कहती है, किसानों ने दोहरी-तिहरी फसल लेना चाहिए, पर प्रशासन द्वारा ग्रीष्म फसल नही लेने का आदेश दिया गया। इसका कारण नदी में पानी की कमी है। जब पता है कि नदी में ग्रीष्मकाल में पानी नहीं रहता तो, उपसा सिंचन योजना बनाकर करोड़ो रुपये क्यों फूंके गए। किसान 6 साल से बैराज की मांग कर रहा है तो, ब्रिज के साथ बैराज क्यों नहीं..?
    किसान परिषद ने कहा, हमनें वैनगंगा नदी पर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ने वाले नए ब्रिज के साथ बैराज (बांध) की मांग की थी। परंतु किसानों की इस महत्वपूर्ण बात को अनसुना कर सिर्फ ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है, जो किसानों के साथ अन्याय है। गोविंद तुरकर ने कहा, प्रशासन ने, जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में जलस्तर बढ़ाने हेतु तथा फसलों के बारे में, पानी पूर्ति के बारे में सोचना चाहिए। ना कि सिर्फ ब्रिज बनाकर वाहवाही लूटने का काम करना चाहिए।
   गोविंद तुरकर ने कहा, बैराज क्यों जरूरी है इसका उदाहरण आप देख सकते है, जब पानी का संकट गहराया था, तब रुपयों से खरीदकर कई किलोमीटर दूर पूजारिटोला जलाशय से पानी की आपूर्ति की गई थी।
   वहां उपस्थित किसानों ने बताया कि, ब्रिज का निर्माण कार्य सितंबर माह से डांगोरली ग्राम पंचायत सीमा पर प्रारंभ किया गया है। अब तक इस निर्माण की अनुमति को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी और पत्र ग्राम पंचायत को नही दी गई। देश में ग्राम पंचायत को सर्वोच्च दर्जा दिया गया है, पर ब्रिज निर्माण कार्य मे ग्राम पंचायत की अनुमति न लेना नियमों की अवहेलना है। इस निर्माण कार्य में ग्राम पंचायत की जमीन पर बिना अनुमति के खोदकाम कर मिट्टी निकाली जा रही है और उसे निर्माण कार्य में लगाया जा रहा है।
   किसान परिषद के अध्यक्ष व सरपंच गोविंद तुरकर ने कहा, हम इस निर्माणाधीन ब्रिज के विरोध में है। हमें ब्रिज के साथ बैराज चाहिए, जो आज की सबसे बड़ी मांग है। अगर शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि इसमें दुर्लक्षता दिखाते है तो, हम 50 हजार किसानों के साथ मिलकर इस नदी में मानवनिर्मित बैराज का निर्माण करेंगे तथा गोंदिया को एक बूंद भी पानी नहीं देंगे ऐसी चेतावनी भी दी।
   किसान परिषद की सभा में अध्यक्ष व टेड़वा के सरपंच गोविंद तुरकर, परिषद के सचिव छत्रपाल तुरकर, दीपक गौतम, ओमकार बिजेवार, राजू सूर्यवंशी, छन्नूलाल तुरकर, मुन्ना पिपरेवार, मुर्लिसाहू डोरे,माणिकलाल तुरकर सहित अनेको किसान बंधू उपस्थित थे।

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