…इसलिए, अपनी कुशलता के कारण जाना जाता है गोंदिया का “बी.जे. हॉस्पिटल”, डॉक्टरी पेशे में था पहला केस, बिना समय गवाएं हुआ जटिल ऑपरेशन

2,110 Views
प्रतिनिधि। 29 सितंबर
गोंदिया। वो रक्तरंजित थी, आँखे बाहर निकल आयी थी, दर्द से कराह रही थी। ऐसी स्थिति जो डॉक्टरी पेशे में पहली बार और अलग तरह की थी, उस स्थिति में डॉक्टर ने जो बिना समय गवाएं सफल ऑपरेशन कर मिसाल कायम की है वो वाकई में काबिले तारीफ है।आज वो लड़की पहले की तरह सामान्य तथा आँखों को पूर्ण रूप से वापस पा चुकी है। 
ये मिसाल कायम हुई है गोंदिया के चर्चा में रहने वाले “बी.जे. हॉस्पिटल में। और वो सफल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर है डॉ. नीलेश जैन।
जिस मासूम छात्रा का बीजे हॉस्पिटल में सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिंदगी की रोशनी वापस लौटाई गई है वो दरअसल पड़ोसी जिले बालाघाट के हट्टा निवासी 12 वर्षीय कुमारी हर्षिता सुखराम कावरे है। कुछ दिनों पूर्व हर्षिता कावरे साइकिल चलाते समय दुर्घटना का शिकार हुई थी। इस दुर्घटना में हर्षिता के गिरते वक्त साइकिल का ब्रेक लिवर उसके आँख में घुस गया था। इस ब्रेक के घुसने की वजह से उसकी पूरी आंख बाहर निकल आयी थी और खून का रिसाव जारी था।
हर्षिता के परिवार के लोगों ने बिना समय गवाएं उसे गोंदिया के बी.जे. हॉस्पिटल में लाकर डॉ. नीलेश जैन से मुलाकात की। डॉ. नीलेश जैन ने हर्षिता कावरे की हालात देखकर हतप्रभ हो गए। उसकी आंखें बाहर निकल आयी थी, वो दर्द से कराह रही थी।
डॉ. नीलेश जैन ने बताया कि उनकी डॉक्टरी प्रेक्टिस और अध्ययनकाल में गव्हर्नमेंट मेडीकल कॉलेज नागपुर, अरविंद आई हॉस्पीटल मदुराई और कोयम्बतूर में भी ऐसा केस नहीं आया था। ऐसी इमरजेंसी थी कि मैं सीनियर्स और अपने टीचर्स से भी सलाह मश्विरा नहीं कर पाया। अपने विवेक और अपनी प्रेक्टिस के अनुभव के आधार पर ही उपचार किया। मुझे बहुत खुशी और आत्मिक संतोष है कि ईश्वर की कृपा से लड़की पूर्णतया स्वस्थ हो गयी है।
डॉ. नीलेश जैन ने जो अपने डॉक्टरी अनुभव और सुझबुझ से सफल उपचार किया उससे आज हर्षिता को पूर्णरूपेण आँख की नई रोशनी प्राप्त हुई है और वो पहले की तरह सामान्य हो गई है। डॉ. नीलेश जैन द्वारा इस अनोखे मामले पर सफल उपचार किये जाने पर उनकी सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है।

Related posts