गोंदिया: पहिली कंप्यूटरीकृत ईटीपी पास की सुरुवात गोंदिया सेे, अब पूरे भारत में महाराष्ट्र वन विभाग की कंप्यूटरीकृत ईटीपी जारी होगी..

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अब किसी भी गाँव से प्राप्त होंगी कंप्यूटरीकृत वाहतूक पास, अवैध कटाई पर रोक लगाने वनविभाग ने उठाया कदम..

प्रतिनिधि।
गोंदिया। लोकसेवा गारंटी अधिनियम 2015 के अनुसार महाराष्ट्र वन विभाग ने महा फॉरेस्ट इस वेबसाइट पर नागरिको के लिए 11वीं कंप्यूटरीकृत सुविधा के तहत इंटर स्टेट ट्रांसफर फॉरेस्ट परिवहन पास ( ई-टीपी), देने की पहली शुरुआत गोंदिया वन रेंज के कोरनी वन उपज नाका से की है। अब भारत में ई टी पी महाराष्ट्र से दीं जाये गी जिस से आसानी हो जाएगी।

विभिन्न वन उत्पादों, स्वामित्व खसरे के मामलों, अंतर राज्य हस्तांतरण पास, शासकीय वन डिपो से लकड़ी के निष्कर्षण के लिए परिवहन लाइसेंस जारी किया जाता है। ये पध्दति ब्रिटिश काल से चली आ रही थी। जिसे समय के साथ इस सिस्टम में बदलाव किया जाना आवश्यक था।

इस बदलाव के तहत ही राज्य में पहली ईटीपी महाराष्ट्र के बालाघाट सीमा पर स्थित कोरनी जांच नाका पर 22 जनवरी 2021 को गोंदिया से अनंतपुर, आंध्र प्रदेश हेतु कंप्यूटरीकृत इंटर स्टेट फॉरेस्ट परिवहन पास, वनक्षेत्र अधिकारी एस. जी. नांदवटे गोंदिया ने योगेश काळे के मार्गदर्शन में भोया नरसिम्हा को दी थी।

आधुनिक युग में सरकार का इरादा ई-गवर्नेंस के माध्यम से प्रशासन को आसान, अधिक गतिशील और लोकाभिमुख बनाने का है। साथ ही प्रौद्योगिकी ज्ञान का उपयोग कराना है। महाराष्ट्र का वनविभाग हमेशा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सबसे आगे रहा है। इसी के तहत वन विभाग द्वारा एक कदम आगे बढ़ाते हुए लोकसेवा गारंटी अधिनियम में नागरिक सुविधा हेतु ई-टीपी (स्वामित्व), अंतर राज्य ट्रांसफर पास कंप्यूटरीकृत की गई।

गौरतलब हो कि 29 अक्तूबर 2020 को पी. कल्याण कुमार मुख्य वन सरंक्षक प्रादेशिक नागपुर वनवृत्त ने वेबिनार द्वारा कार्यशाला लेकर ईटीपी के संदर्भ में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का मार्गदर्शन किया था। साथ ही योगेश काले ने इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की थी। इसके बाद ही 11 जनवरी को स्वामित्व (खसरा) ईटीपी अमल में आया, जिसमें गोंदिया वनपरिक्षेत्र अधिकारी ने संपूर्ण राज्य में पहली ईटीपी जारी की।

इस सुविधा के अनुसार इसके पूर्व तेंदूपत्ता के ठेकेदार / उत्पादक का पंजीकरण, बांस की आपूर्ति के लिए नए बुरड़ श्रमिकों का पंजीकरण, वन्यजीव हमले के कारण पशु क्षति के लिए मुआवजे की मंजूरी, चोट या जंगली जीव हमले के कारण व्यक्ति की मृत्यु के लिए वित्तीय सहायता की स्वीकृति, फसल क्षति के लिए मुआवजा। पर्यटन के सीजन में पर्यटकों द्वारा फोटोग्राफी के लिए वन्यजीव की अनुमति (समाचार हेतु), वन्यजीव में पर्यटन के मौसम के दौरान फोटोग्राफी की अनुमति (एक से अधिक समाचारों के लिए), आरागिरी लाइसेंस का नवीनीकरण, गैर-आदिवासी आवेदकों को पेड़ काटने की अनुमति, आदिवासी आवेदकों की अनुमति पेड़ों को काटने के लिए, आदि।

इस प्रणाली के साथ, कर संग्राहक अब किसी भी गाँव से कम समय में कम्प्यूटरीकृत लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे और निर्धारित शुल्क का भुगतान कर सकेंगे। इस प्रणाली का उपयोग वन विभाग द्वारा अवैध कटाई और अवैध वाहतूक पर रोक लगाने के लिए किया जाएगा।

इस कार्य को सुशील नांदवटे वनक्षेत्र अधिकारी, एन.पी. वैध क्षेत्र सहायक, ए. मुंडे, एस. यादव, के. लिल्हारे, आर. नागपुरे वनरक्षक ने प्रमुख भूमिका निभाई. पहली कंप्यूटरीकृत इंटर स्टेट ट्रांसफर फॉरेस्ट परिवहन पास का कार्य कुलराज सिंग, उपवन सरंक्षक एस.सदगीर सहाय्यक वनसंरक्षक गोंदिया, तथा योगेश काळे कंप्यूटर ज्ञाता,एस के त्रिपाठी विभागीय वनअधिकारी दक्षता नागपूर, कल्याण कुमार मुख्य वन संरक्षक नागपूर के मार्गदर्शन में उनके सहयोग से किया गया।

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