प्रशासन की उदासिनता के चलते राईस मिल संचालकों की हड़ताल, मिलिंग प्रक्रिया अटकी..
लाखों क्विंटल खरीदा धान खुले में, कहीं धान का कटोरा खाली न हो जाए..
प्रतिनिधि।
गोंदिया। गोंदिया जिले के हजारों किसानों से प्रशासन ने लाखों क्विंटल धान की खरीदी कर रख दी है। जिसकी मिलिंग राईस मिल संचालकों द्वारा की जाती है। लेकिन प्रशासन की उदासिनता के चलते राईस मिल संचालकों ने अपनी प्रलंबित मांगों को लेकर धान न उठाने का निर्णय लेकर हड़ताल शुरू कर दी है। जिससे प्रशासन सक्ते में तो आ ही गया है। लेकिन सबसे बड़ा डर यह सताने लगा है कि बेमौसम बारिश एवं हवामान से खुले में पड़ा धान कहीं नष्ट न हो जाए। धान के कटोरे के नाम से पहचाने जाने वाला गोंदिया जिला कहीं धान के कटोरे से खाली न हो जाए। राईस मिल असोसिएशन ने कड़ा निर्णय लिया है कि जब तक मांगे पुरी नहीं होती तब तक धान की मिलिंग नहीं की जाएगी।
इस संदर्भ में राईस मिलर्स असोसिएशन द्वारा जानकारी दी गई कि प्रतिवर्ष धान मिलिंग के लिए प्रति क्विंटल ३० रूपए दर राज्य सरकार द्वारा दिया जाता था। लेकिन इस वर्ष प्रति क्विंटल मात्र १० रूपए दर तय किया गया है। वहीं वर्ष २०१८-१९ एवं २०२० इन तीन वर्षों का मिलिंग बिल नहीं दिया गया है। जिसकी राशि ७२ करोड़ रूपए होती है। जिले की मुख्य फसल धान होने से जिले में ३०० से अधिक राईस मिल संचालित है। जहां पर ५० हजार से अधिक मजूदर कर्मचारी काम कर रहे है। लेकिन राईस मिलों में आने वाले धान से भरे ट्रकों को नाकों पर रोका जा रहा है। जिस वजह से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ या अन्य जिलों से आने वाला धान बंद हो गया है। जिले की राईस मिले बंद होने की कगार पर है। यदि राईस मिले बंद हो जाए तो जिले के हजारों परिवारों का रोजगार छीन जाएगा। कस्टम मिलिंग के लिए राईस मिल संचालकों से सम्मति पत्र तो लिए गए है, लेकिन राईस मिलर्स असोसिएशन ने निर्णय लिया है कि जब तक मांगे पुरी नहीं होती तब तक कस्टम मिलिंग के तहत धान खरीदी केंद्रों से उठाया नहीं जाएगा। इस निर्णय से प्रशासन सक्ते में आ गया है। धान नहीं उठने से लाखों क्विंटल धान धान खरीदी केंद्रों पर पड़ा है। यदि बेमौसम बारिश हुई तो लाखों क्विंटल धान नष्ट हो सकता है।