गोंदिया: 58 साल में पहली बार रोमांचक हुआ स्नातक मतदार संघ चुनाव, पटेल, पटोले संघ शिवसेना कूद गई मैदान में…

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महाविकास आघाडी उम्मीदवार अभिजीत वंजारी की जीत के लिए नागपुर से लेकर गोंदिया, भंडारा जिले में धड़ाधड़ बैठकें…

हकीक़त न्यूज।
गोंदिया। इतिहास में पहली बार महाराष्ट्र विधानपरिषद के नागपुर विभाग स्नातक चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई देखी जा रही है। 58 साल से हो रहे इस चुनाव में आज तक अन्य लोगो को इसकी जानकारी भी नहीं होती थी, परन्तु इस बार शहर से लेकर नगर तक तथा गाँव-गाँव में इस चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है। हर जनता-जनार्दन के मुंह में इस चुनाव को लेकर राजनीतिक चर्चा देखी जा सकती है।
   नागपुर विभाग के इस स्नातक चुनाव में कुल 19 उम्मीदवार मैदान में है, जो हर तरह से “मैं जीतूंगा” का विश्वास कायम कर मैदान में डटा हुआ है। खास लड़ाई 58 वर्ष से इस सीट पर काबिज भाजपा और कांग्रेस के बीच है। महाविकास आघाडी गठबंधन ने अपना उम्मीदवार उच्च शिक्षित, 15 वर्ष सीनेटर रहे तथा शिक्षा महर्षि पूर्व विधायक गोविंदराव वंजारी के सुपुत्र एड. अभिजीत वंजारी को मैदान में उतारा है, वही भाजपा ने नागपुर महानगर पालिका के महापौर, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खास संदीप जोशी को मैदान में उतारा है।
    इस सीट से चुनाव जीतने वालों ने मंत्री तक बनने का गौरव प्राप्त किया है। परंतु इस चुनाव की सुगबुगाहट पिछले 58 सालों में कभी नही देखी गई। पहली बार महाविकास आघाडी के एकसाथ मैदान में आने से तथा इस चुनाव को जनता के बीच लाने से ये अब आम चुनाव की तरह दिखायी दे रहा है।
    भाजपा उम्मीदवार के जीत के लिए पूर्व मुख्यमंत्री फड़नवीस के साथ ही पूर्व मंत्री, दिग्गज भाजपाई, विधायक प्रचार कर रहे है, वही महाविकास आघाडी के उम्मीदवार की जीत के लिए वर्तमना मंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, दिग्गज नेता, विधायक प्रचार में भिड़े हुए है।
    भाजपा का दावा है कि, इस बार भी ये सीट वो ही जीत कर ले जाएंगे, परंतु भाजपा के प्रसार-प्रचार से ऐसा लगता है कि भाजपा पर खतरा मंडरा रहा है, तभी वो पूरी ताकत से चुनाव के प्रचार में जुटे हुए है।
   हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान सांसद प्रफुल पटेल, विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले एवं शिवसेना के पदाधिकारियों के साथ गोंदिया में एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना ने एक स्वर में महाविकास आघाडी के उम्मीदवार को जिताने का संकल्प लिया।
  उन्होंने पत्र परिषद में भी कहा कि, हम सब एक सरकार बनकर कार्य करेंगे। इस सीट को भाजपा मुक्त करना हमारा संकल्प और ध्येय है। 58 सालों से इस सीट से जनप्रतिनिधित्व करने वालों ने स्नातक मतदाताओं के लिए कुछ नही किया। हमारा युवा आज उच्च शिक्षित होकर भी नोकरी के लिए भटक रहा है, पुणे और मुंबई जाकर रोजगार तलाश रहा है। हमें अपने विदर्भ में ही इस सीट से जनप्रतिनिधि चुनकर भेजना है, ताकी इन ज्वलंत समस्याओं का समाधान किया जा सकें और विदर्भ में नए आयाम स्थापित किया जा सकें।
   बता दें कि कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना एवं अन्य गठबंधन राजनीतिक दलों के एकसाथ सामने आने से, इस चुनाव में राजनीतिक रंग गरमा गया है। 1 दिसम्बर को इस चुनाव की वोटिंग होनी है। स्नातक मतदाताओं में इस चुनाव को लेकर भी बड़ी नाराजी झलक रही है। इस बार चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इस चुनाव में करीब 2 लाख 6 हजार मतदाता अपने मतों का प्रयोग नए जनप्रतिनिधित्व चुनने के लिए करेंगे। फिलहाल मतदाता किसे अपना नेतृत्व सौंपते है ये नतीजों में सामने आएगा।

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