लोस चुनाव में पटेल-पटोले की राजनीतिक प्रतिष्ठां दांव पर, झोंक दी पूरी ताकत…

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जावेद खान।
गोंदिया। 19 अप्रैल को होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट राजनीतिक अखाड़ा बन चुकी है। यहां दिग्गज नेता उम्मीदवार को देखकर नहीं खुद को फेस कर मतदाताओं को रिझा रहे है।
इंडिया आघाडी के उम्मीदवार प्रशांत पडोले के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले मैदान में कूदे हुए हैं तो वही महायुति उम्मीदवार सुनील मेंढे के लिए एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल मैदान में है। दोनों दिग्गज इस बार अपने अपने उम्मीदवार को बहुमतों से जिताने एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है।
लोकसभा चुनाव में भले ही बड़े नेता विकास की दृष्टि पर जीत के लिये आशिर्वाद मांग रहे है, पर पूरा चुनाव अब जाति फेक्टर पर आकर टिक गया है। इस लोस क्षेत्र में जाती कार्ड जमकर चल रहा है। यहां एक  विशेष समाज के वोट अधिक है। इन दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के अलावा अन्य राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार भी इसी समाज से है। अन्य समाज जो अधिक वोटों की ताकत रखते है और इन समाज के लोगो को टिकट न मिलने पर ये वोट किस करवट जाते है, ये तो मतदान के बाद ही आने वाले नतीजों में स्पष्ट होगा, पर ये तय है कि इन समाज में भी उम्मीदवारी नहीं मिलने पर नाराजी बनी हुई है जो हार जीत को तय करेंगी।
प्रफुल्ल पटेल इस जाति कार्ड को अपने राजनीतिक सफर में बेहतर तरीके से जानते है। प्रफ़ुल्ल पटेल ने विकास के मुहाने पर लोकसभा में जीत दर्ज कर संसद की सीढ़ियां इसी क्षेत्र से चढ़ी है। उनके विकास कार्य ही उनकी पहचान है।
नाना पटोले एक छोटे से गाँव से राजनीतिक शुरुवात कर ऊपर उठे है। वो गांव के चुनाव से संसद तक का सफर इसी क्षेत्र से कर चुके है। इस क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता भी अधिक है। जनता, किसान के मुद्दे पर विधानसभा और लोकसभा सीट से इस्तीफा देने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है।
ये दोनों नेता पटेल-पटोले, अपने अपने कार्यो से इस क्षेत्र में जनप्रिय है। अब देखना ये होगा कि इस क्षेत्र की जनता अपना जनप्रतिनिधित्व  किस नेता और किस उम्मीदवार को देखकर सौंपती है।

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