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गोंदिया। जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख सामने आ रही है, वैसे वैसे चुनाव भी अपने चरम सीमा पर पहुँच कर अपने रंग दिखा रहा है। गली, चौराहों और नुक्कड़ों पर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। कोई भाजपा के गुण गा रहा है तो कोई भाजपा को उखाड़ फेंकने की बात कर रहा है। इनमें वो लोग भी शामिल है जो भाजपा, कांग्रेस से दरकिनार होकर उनके हक की बात करने वाले को चुनकर लाने की बात कर रहे है।
भंडारा-गोंदिया संसदीय क्षेत्र से वैसे तो 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, पर चर्चा उनपर ही हो रही है जो चर्चा में है। यहां भाजपा महायुति के उम्मीदवार सुनील मेंढे, कांग्रेस महाविकास आघाडी के उम्मीदवार प्रशांत पडोले का प्रचार धुआंदार चल रहा है। कोई भाजपा उम्मीदवार को कोस रहा तो कोई मोदीजी के नाम पर वोट देने की बात कर रहा है। कांग्रेस 26 साल बाद मैदान में है। कांग्रेस के नेता कह रहे है ये लड़ाई कॉन्ट्रेक्टर विरुद्ध डॉक्टर की है।
बसपा ने भाजपा के पदाधिकारी रहे संजय कुंभलकर को टिकट दी, वही वंचित से संजय केवट मैदान में है। पर मतदाताओं में इन्हें लेकर कोई रुचि दिखाई नही दे रही। इनमें कभी कांग्रेस के विधायक रहे सेवक वाघाये भी निर्दलीय प्रत्याशी है जो खुद को कांग्रेस का बताकर वोट मांग रहे है। पर ये महाशय भी सिर्फ भंडारा जिले तक ही प्रचार में सीमित होते दिखाई दे रहे है।
इन सब में एक व्यक्ति है जो चुनाव प्रचार में कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है। आपने खरगोश और कछुए की कहानी तो सुनी होगी, बताने की आवश्यकता नही। ये उम्मीदवार संसदीय क्षेत्र में नया नही है। पेशे से वरिष्ठ पत्रकार, अधिवक्ता एवं जनसामान्य के लिए जन संघर्ष करने वाला ये जननेता निर्दलीय प्रत्याशी एडवोकेट वीरेन्द्र जायसवाल है। जो ऑटो रिक्शा लेकर मैदान में है।
जायसवाल अबतक 4 चुनाव लड़ चुके है। और ये उनका 5वां चुनाव है। करोड़पति उम्मीदवारों के बीच ये लखपति उम्मीदवार सोशल मीडिया के सहारे जबरदस्त प्रचार कर चुनाव का रुख अपनी ओर मोड़ रहा है। चुनाव प्रचार में अनेक ऑटो रिक्शा प्रचार करते दिखाई दे रहे है। खुद जायसवाल फोर व्हीलर, और ऑटो रिक्शा से भी प्रचार कर रहे है। चुनाव में मंजा हुआ कोई प्रत्याशी है तो वो सिर्फ वीरेंद्र जायसवाल है।
फुले, साहू, आंबेडकर की विचारधारा वाले इस व्यक्ति के नाम अनेक आंदोलन है। अनेक जेल यात्राएं है, फिर भी ये व्यक्ति तटस्थ खड़ा हुआ है। इस लोस चुनाव में अनेक संगठनाओ से एडवोकेट वीरेंद्र जायसवाल को जबरदस्त जन समर्थन मिल रहा है। चुनाव में जायसवाल सिर्फ दोनो जिलो की मांगो को लेकर मैदान में है।
अब देखना ये होगा कि आगामी 19 अप्रैल को इस क्षेत्र की जनता किसे मतदान कर अपना जनप्रतिनिधित्वव सौंपती है।