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नई दिल्ली,(ईएमएस)। ईवीएम मशीन को लेकर विपक्षी दल लंबे समय से सवाल उठाते रहे हैं। यही नहीं वीवीपेट की पर्ची से मतों के मिलान करने की मांग भी उठती रही है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
दरअसल, शीर्ष न्यायालय में याचिका दाखिल हुई थी, जिसमें सभी वीवीपेट पेपर स्लिप की गणना या काउंटिंग की मांग की गई थी। इस संबंध में अदालत ने जवाब मांगा है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि रेंडम यानी बगैर किसी विचार के 5 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन चुनने के बजाए सभी वीवीपेट की गणना होनी चाहिए।
वकील और एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल की तरफ से शीर्ष न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। इसके अलावा इसी तरह की याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भी दाखिल की थी। याचिका में चुनाव आयोग के उन दिशा निर्देशों को भी चुनौती दी गई है, जिसमें एक के बाद एक वीवीपेट वेरिफिकेशन की बात कही गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर एक साथ वेरिफिकेशन किया जाएगा और गणना में ज्यादा अधिकारियों को तैनात किया जाएगा, तो वीवीपेट वेरिफिकेशन महज 5 से 6 घंटों में पूरा हो सकता है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपेट खरीदने के लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि, मौजूदा स्थिति में अनुमानित 20 हजार वीवीपेट की ही पर्चियों का वेरिफिकेशन हो पा रहा है। याचिका में कहा गया है कि कई विशेषज्ञ इस विषय में कई प्रश्न उठा चुके हैं और ईवीएम तथा वीवीपैट के मतों में बड़ी संख्या में विसंगतियों की सूचनाएं विगत में आती रही हैं।
याचिका में उच्चतम न्यायालय से मांग की गई है कि ईवीएम के वोट का मिलान वीवीपैट की पर्ची के साथ कराया जाए। वीवीपैट की पर्चियों की पुष्टि बारी बारी से कराने के आयोग के अगस्त 2023 के दिशा निर्देश को निरस्त किया जाए। आयोग को निर्देश दिया जाए कि वो मतदाताओं को वीवीपैट की अपनी पर्ची को मतदान के बाद एक अलग मतपेटी में डालने की अनुमति दे तथा आयोग वीवीपेट मशीन के शीशे को पारदर्शी रखे और मतदान करते समय उसकी बत्ती इतने समय तक जलती रही कि मतदाता अपने मत की कागजी रिकॉर्डिंग को आराम से देख सके और उस पर्ची को फाड़कर अलग पेटी में डाल सके।
बता दें कि ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) एक स्वतंत्र वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जो वोटर्स को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। वीवीपैट के जरिये मशीन से कागज की पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है और इस पर्ची को एक सीलबंद डिब्बे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है।