गोंदिया: 4 दिन के नवजात को बचाने डॉक्टरों ने की ब्लड एक्सचेंज प्रक्रिया, ओ-पोजिटिव्ह निकालकर चढ़ाया “ओ-निगेटिव्ह ब्लड

792 Views

 

रक्तदूत हुए मददगार, नवजात खतरे से बाहर, परिवार ने डॉक्टरों और रक्तदाता का माना आभार..

 

प्रतिनिधि। 4 सितंबर

गोंदिया। मां के पेट से नवजात का जन्म होते ही परिवारो में खुशी की लहर छा जाती है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती है कि नवजात का जन्म होते ही बालक जिंदगी और मौत का संघर्ष करने लग जाते है। और उन्हें बचाने डॉक्टरों की टीम अथक प्रयास में लग जाती है। और इस काम में डाक्टर कामयाब भी हो जाते है। इसलिए डॉक्टर को धरती के भगवान भी कहा जाता है।

ऐसा ही एक मामला जिला महिला सरकारी अस्पताल बीडब्ल्यू में सामने आया है। चार दिन के बालक की जान बचाने के लिए चिकित्सको ने ब्लड एक्सचं रोज की प्रक्रिया अपनाकर नवजात को नया जीवनदान देकर उसके परिवार में खुशियो का माहौल ला दिया है।

इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि आमगांव तहसील के गिरोला घाटटेमनी निवासी वर्षा सौंदरकर महिला ने 29 अगस्त को एक नवजात बालक को जन्म दिया। लेकिन जन्म होते ही नवजात पीलिया से पीड़ित था। वहीं मां का ब्लड बी निगेटिव तो बालक का ओ पॉजिटीव ग्रुप था। ऐसे में बालक को बचाना डाक्टरो के लिए काफी मुश्किल था।

इस जटील प्रक्रिया को पुरा करने के लिए चिकित्सक बालरोग विशेषज्ञ डा. अर्पण चव्हान, डा. राकेश चिखलांढे व डा. सुनिल देशमुख तथा उनकी टीम ने ब्लड एक्सचेंज करने की प्रक्रिया अपनाई। चार दिन के नवजात पर ब्लड एक्सचेंज करना काफी जटील होता है। इसके बावजूद भी उपरोक्त चिकित्सको की टीम ने इस जटील प्रक्रिया को एक घंटे में पुरा करते हुए 350 एमएल ओ पॉजिटिव ब्लड शरीर से बाहर निकालकर उसके बदले ओ निगेटिव ब्लड बालक के शरीर में चढ़ाया।

प्रक्रिया पुरी होते ही कुछ ही घंटों में बालक की स्थिति में सुधार दिखने लगा। अब बालक खतरे के बाहर बताया जा रहा है। नवजात खतरे के बाहर होने से परिवारों के चेहरों पर खुशियां झलक उठी।

“रक्तदूत” बने मददगार

ओ निगेटिव रक्त दुर्लभ होकर हजारो में से एक में पाया जाता है। जिसे ढूंढना या समय पर मिलाना काफी मुश्किल हो जाता है। जब नवजात को ओ निगेटिव ब्लड ग्रुप की आवश्यकता पड़ी तो परिजन के सामने इस ग्रुप के व्यक्ति को खोजना काफी मुश्किल हो गया था। जब इसकी जानकारी रक्तदूत विनोद चांदवानी (गुड्डू)को मिली तो वे बिना समय गवाएं तत्काल उस बालक की मदद के लिए अस्पताल पहुंच गए और उन्होने ओ निगेटिव ब्लड ग्रुप के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी अजय परसराम चांदवानी से संपर्क किया। अजय चांदवानी ने तत्काल अपना रक्त देकर बालक को नया जीवनदान देकर मानवता का परिचय दिया। इस नेक कार्य के लिए रक्त मित्र विनोद चांदवानी, शुभम निपाने, रिंकु आसवानी, नितीन रायकवार ने रक्तदूत अजय चांदवानी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

धरती के भगवान रूपी है डॉक्टर..

डॉक्टर को धरती में भगवान का रुप इसलिए कहा जाता है कि वे जीवित व्यक्ति पर जटिल प्रक्रिया कर उनका इलाज करते हैं। अगर धरती पर डाक्टर नहीं होते तो रोगियों का इलाज करना संभव नहीं था और मानव जीवन खतरे मे आ जाता था।

किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पर ईलाज करना और उसे नया जीवनदान देना यह महान कार्य है। डॉक्टर अपने अनुभव का प्रामाणिक इस्तेमाल कर सफल ईलाज से पीड़ित व्यक्ति को मृत्यु से बचाते है। इस असाधारण कार्यों को देखते डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप भी कहा जाता है

Related posts