पूर्व मंत्री डॉ. फुके ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी, कहा-  डॉ. पंजाबराव देशमुख को मिले “भारत रत्न”..

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नागपुर। 07 अगस्त
कृषि व, विज्ञान क्षेत्र में महाराष्ट्र सहित सम्पूर्ण भारत वर्ष में ख्याति अर्जित करने वाले एवं अपना सारा जीवन वंचित, किसानों, मजदूरों और गरीबों के हित के लिए समर्पित करने वाले प्रख्यात विद्वान, किसान पुत्र भाऊसाहेब डॉ. पंजाबराव देशमुख को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित करने राज्य के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक डॉ. परिणय फुके ने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में विधायक फुके ने लिखा,  डॉ. पंजाबराव देशमुख के कार्यो से महाराष्ट्र ही नहीं अपितु पूरा भारत वर्ष वाकिफ़ है। वे विद्वान और गुणी व्यक्तित्व के धनी थे।
भाऊसाहेब डॉ. पंजाबराव देशमुख ने अपना सारा जीवन वंचितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने लगातार किसानों, मजदूरों और गरीबों के हित के लिए काम किया, जिन्होंने भारतीय पहचान के सार के लिए कठिनाइयाँ झेली हैं। उन्हें भारत रत्न देना हमारे देश की जनता के प्रति उन्हें श्रद्धांजलि होगी।
फुके ने आगे लिखा, भाऊसाहेब डॉ. पंजाबराव देशमुख संस्कृति और विज्ञान के संगम के प्रतीक थे। उनके व्यक्तित्व में ऋषियों और कृषि की परंपराओं का सामंजस्य था। वे न केवल संस्कृत के विद्वान थे, बल्कि हमारे कृषि प्रधान देश में कृषि मंत्री भी रहे। भारतीय संविधान सभा के सदस्य के रूप में उनका योगदान महत्वपूर्ण था। विदर्भ में प्रतिष्ठित शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी और सेंट्रल प्रोविंसेज फार्मर्स यूनियन के संस्थापक के रूप में उनके प्रयास सराहनीय थे। भारत कृषक समाज (भारतीय किसान संघ) के प्रति उनकी आत्मीयता और करुणा उनके कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी।
भाऊसाहेब का जन्म 27 दिसंबर 1898 को अमरावती जिले के पापल गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा इस बात का प्रमाण है कि एक साधारण गांव से आने वाले महान व्यक्ति पर कितना गर्व होता है।
भाऊसाहेब के कार्यों का मूल्यांकन अनेक विद्वानों ने किया है। उनके योगदानों पर जितना अधिक ध्यान दिया जाता है, उतना ही उनकी उपलब्धियों की सीमा का एहसास होता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतने प्रतिष्ठित करियर के बावजूद, उन्होंने खुद को शुष्क अकादमियों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि ‘वैदिक साहित्य में धर्म की उत्पत्ति और विकास’ शीर्षक से एक गहन और विद्वत्तापूर्ण ग्रंथ भी लिखा। जो भारतीय परंपराओं के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है।
सचमुच, भाऊसाहेब डॉ. पंजाबराव देशमुख का परिचय इतने कम शब्दों में समेट पाना असंभव है। इन किसान के बेटे को भारत रत्न देना एक सम्मान की बात होगी। मुख्य रूप से कृषि प्रधान और विविधतापूर्ण समुदाय के इस महान किसान नेता को अद्वितीय श्रद्धांजलि होगी।
फुके ने अंत में कहा, मुझे कृषि प्रधान देश के प्रधानमंत्री पर विश्वास है कि वे इस बात पर उचित विचार करेंगे और इस महान किसान नेता को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करेंगे।

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