दरियादिली की मिसाल: खुद की जमापूंजी से 84 साल के धावक ‘मिल्खासिंह” को साइकिल गिफ्ट की सविता बेदरकर ने..

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जावेद खान।
गोंदिया। राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मेराथान में विदर्भ के साथ ही भारत का डंका बजाने वाले 84 वर्षीय मिल्खासिंह अथार्त मुन्नालाल यादव ने अपनी लगन, कार्यकुशलता और जज़्बे से गोंदिया जिले का नाम खेल क्षेत्र में रोशन कर दिया है।
मुन्नालाल यादव के इस जज्बे को गोंदिया सलाम करता है। 81 साल की उम्र में दुबई अंतराष्ट्रीय मेराथान में हमारे मिल्खा ने 4 गोल्ड मेडल लाकर भारत सहित विदर्भ में ख्याति अर्जित की है। वे अबतक अनेक राज्यों में मैराथन स्पर्धा जीतकर इस उम्र में भी अपना लोहा मनवा चुके है।
मुन्नालाल यादव की आर्थिक परिस्थितियां मजबूत नही है, पर उनके कार्यो और हौसलों को देख हर व्यक्ति उनकी मदद के लिए दौड़ पड़ता है। हाल ही में एक प्रसंग ऐसा घटित हुआ कि एक साधारण समाजसेविका ने आगे आकर उन्हें ऐसी मदद की, जिससे वे खुद को अत्यंत हर्षित महसूस कर रही है।
दरअसल, मुन्नालाल यादव अपनी दिनचर्या रोजाना साइकिल सवारी से पूरी करते है। उनका मुख्य व्यवसाय दूध बिक्री है। परंतु मुन्नालाल यादव के पास वर्षो पुरानी साईकिल होने से उन्हें अनेक तकलीफों का सामना करना पड़ता है। वे दौड़ मैराथन के साथ ही साइकिलिंग के भी बड़े शौकीन है।
कुछ दिन पूर्व मदर्स डे पर शिव नागपुरे की सामाजिक कार्यकर्ता सविता बेदरकर से मुलाकात हुई थी। मुलाकात के दौरान शिव नागपुरे ने सविता बेदरकर से कहा कि, ताई, मुन्नालाल यादवजी को नई साइकिल दिलाना है, इसके लिए हम जिला क्रीड़ा अधिकारी से मिलते है। सविताताई ने कहा, ठीक है। पर ताई के दिल में फिर ममता जाग उठी और उन्होंने पूछ डाला कि साईकिल की किंमत कितनी है.?
स्पोर्ट्स साइकिल की किंमत करीब 16 हजार बताई गई। सविता ताई ने कहा, मेरी एलआईसी की पॉलिसी है। जैसी नई पॉलिसी मिलती है मैं खुद साइकिल दिलवा दूंगी। सविता ताई ने सोचा क्या पता पॉलिसी मिलती है कि नही, इसकी कब तक राह देखूं। अंततः उन्होंने अपने पास रखी जमा पूंजी इकट्ठा कर निकल पड़ी नई साइकिल की खरीदी में।
सविता ताई बेदरकर ने मुन्नालाल यादव व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ नागपूर साइकिल स्टोर्स पहुँचकर 14 हजार 850 रुपये की स्पोर्ट्स साइकिल खरीदी की और गोंदिया के धावक मिल्खा सिंह के सुपुर्द कर दी।
सविता ताई ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, हमनें दुकानदार को पैसे कम करने हेतु बहोत विनंती की, सारी स्थिति उनके समक्ष रखी पर हताशा ही मिली।उन्होंने लिखा, ऐसा अनेक बार हुआ है। एक बार मैं एक बेटी की शादी के लिए सामान खरीदने गई थी, तब भी ऐसा ही कुछ हुआ था। मैंने कहा था, कुछ कम कर दो, लड़की अनाथ है। पर उनका जवाब विपरीत था। उल्टा ये कहते थे कि, क्यों दूसरों की मदद करते हो अपना घर फूंककर..!!
सविता ताई बेदरकर अंत मे लिखते है कि, आप क्या जानो, मदद क्या होती है। जो खुशी अंदर से मिलती है उसे आप नही समझ सकते। मुन्ना यादव जी के चेहरे पर मैने वह मुस्कुराहट, जो खुशी देखी उससे मेरे पैसे वसूल हो गए…
बताता चलु की, सविता बेदरकर एक अग्रणी समाज सेविका है, जो हर पल, समाजकार्य में अग्रणी रहने वाली सशक्त महिला है। उन्हें अनाथों की माँ के रूप में भी जाना जाता है। अनेक अनाथ बच्चों को उन्होंने सहारा दिया, शिक्षा में मदद की, उनकी शादियां करवाई, उनके परिवार को मदद करने का साहस किया है। मैं उन्हें और उनकी सोच को भी सलाम करता हूँ, जो कुछ न रहते हुए भी दूसरों की मदद के लिए सदैव अग्रसर है।

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