नागपुर विभाग पदवीधर मतदार संघ (MLC चुनाव)…. स्वतंत्र उम्मीदवार एड. वीरेंद्र जायसवाल ने छोड़ी कांग्रेस, 58 साल के नागपुर पैटर्न बदलने हेतु कटिबद्ध..

805 Views

 

जो पदवीधर नहीं वो संभाल रहे भाजपा उम्मीदवार के स्टार प्रचारक की भूमिका..

प्रतिनिधि।
गोंदिया। पिछले 58 वर्षों से महाराष्ट्र विधानपरिषद में चुनकर जाने वाले नागपुर विभागीय पदवीधर मतदार संघ में भाजपा के नेताओं का वर्चस्व कायम रहा हैं। इस सीट पर महाराष्ट्रीयन ब्राम्हण समाज के व्यक्ति ने 58 सालों से नागपुर से जनप्रतिनिधित्व कर 5 जिलों पर राज किया है। मैं इस नागपुर पैटर्न को बदलना चाहता हूँ। हम पांच जिलों के पदवीधर मतदाता 58 सालों से सिर्फ वोट डालने का कार्य कर रहे है, क्या हमें इस सीट से चुनकर जाने का अधिकार नही..??

ये सनसनी कटाक्ष नागपुर विभागीय पदवीधर मतदारसंघ में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहें बहुजनवादी, लेखक, चिंतक, वकील एवं पत्रकार एड. वीरेंद्र जायसवाल ने पत्रकार परिषद में किया।

गोंदिया निवासी, चर्चित एड. वीरेंद्र जायसवाल ने कहा, ये पदवीधर मतदार संघ 6 जिलों को मिलाकर बना है, पर हर बार उम्मीदवार नागपुर का ही जीतता आया है। अब हमें नागपुर पैटर्न की पार्सल को वापस लौटाने का कार्य करना है। इस चुनाव में मेरे कई संकल्प है, इसलिए पदाधिकारियों के बोलने के पूर्व कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया।

श्री जायसवाल ने पत्रकारों को बताते हुए कहा, मेरा मुख्य लक्ष्य है चुनाव के सिस्टम को बदलना, जो कि भाजपा नेता व वर्तमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा बदलकर इसकी दिशा ही बदल दी गई। पदवीधर मतदाता उच्च शिक्षित मतदाता है। परंतु हर चुनाव पूर्व उसे अपना मतदाता यादी में नाम रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। मैं इस सिस्टम को बदलने हेतु आवाज बुलंद कर रहा हूँ, ताकि हर पदवीधर मतदाता का नाम सदैव मतदाता यादी में बना रहे।

उन्होंने कहा, इस यादी में रजिस्ट्रेशन की बदलने की प्रक्रिया जानबूझकर की गई है, ताकी सत्ता पाने वाले अपना सिक्का कायम रखें। पर अब हालात बदल चुके है। सोशल मीडिया का जमाना है। हर व्यक्ति जागरूक है। आज मेरे द्वारा बनाये गए 7 हजार वोट है, जबकि मुझे सभी जिलों से अनेक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। इस बार हमें नागपुर पैटर्न बदलना ही मुख्य लक्ष्य है।

उन्होंने कहा, सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें भाजपा के कुछ स्टार प्रचारक के नाम है। जो भाजपा उम्मीदवार की चुनावी धुरा संभाल रहे है। मजे की बात है कि ये सभी लोग पदवीधर नही और इन्हें प्रभारी बनाया गया है।

एड. वीरेंद्र जायसवाल ने कहा, महाविकास आघाडी के उम्मीदवार और भाजपा के उम्मीदवार को लेकर अंदरूनी गुटबाजी साफ झलक रही है। 58 साल के जनप्रतिनिधित्व में इन्होंने कभी पदवीधर का मुद्दा नही उठाया, यहां तक कि मुम्बई में पदवीधर के लिए कोई आवासीय व्यवस्था भी नही है।

उन्होंने कहा, अगर वे निर्वाचित होते है तो पदवीधरों के लिए मुंबई में भोजन व आवासीय व्यवस्था, प्रत्येक जिले में प्रतिवर्ष 3 करोड़ की विकास निधि, सभी पदवीधर को 25-25 लाख रुपयों का बैंक कर्ज दिलाने का प्रयत्न करूंगा। ओबीसी हित के स्वाधार जैसी योजना बनाने हेतु सरकार से मांग करूंगा, तथा संवैधानिक आयोग गठित करने की मांग हेतु प्रयास करूंगा। इसके साथ ही किसान हित के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की आवाज उठाऊंगा। पदवीधर मतदाताओं को व्यवसायिक कौशल्य विकास के लिए प्रशिक्षण देने व रोजगार उपलब्ध कराने कटिबद्ध रहूंगा।

Related posts