गोंदिया में सत्ता का खेल: भाजपा के पंकज रहांगडाले ZP अध्यक्ष, एनसीपी के यशवंत गणवीर उपाध्यक्ष निर्वाचित

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एनसीपी, चाबी व दो निर्दलीय का साथ, मिलें 40-40 मत

राज्य में महाविकास आघाडी वाली कांग्रेस-एनसीपी की जोड़ी का zp में जादू रहा विफल, कांग्रेस के मेंढे और कटरे को 13 मत लेकर देखना पड़ा पराजय का मुंह

प्रतिनिधि। 10 मई
गोंदिया। आज गोंदिया जिला परिषद के संपन्न हुए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। आये नतीजों को देखकर ये साफ होता है कि यहाँ पक्ष को महत्व नहीं, सत्ता हथियाने को महत्व है। तभी तो भाजपा ने एनसीपी के साथ गठजोड़ कर जिला परिषद में सत्ता काबिज की।
सम्पन्न हुए अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद हेतु पंकज रहांगडाले को 40 मत मिले, वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से उपाध्यक्ष पद हेतु यशवंत गणवीर ने 40 मत लेकर जीत दर्ज की। कांग्रेस की ओर से उषा मेंढे को अध्यक्ष पद हेतु 13 एवं जितेंद्र कटरे को उपाध्यक्ष पद हेतु 13 मत लेकर पराजय का सामना करना पड़ा।
विशेष है कि महाराष्ट्र राज्य में एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना की महाविकास आघाडी के साथ सरकार चल रही है। वहीं विपक्ष की भूमिका में भाजपा का महाविकास आघाडी सरकार पर आक्रमक रूप रोज दिखाई देता है। रोजाना एक दूसरे पर चाबुक चलते दिखाई देते है। ऐसे में गोंदिया जिला परिषद में भाजपा की एनसीपी के साथ बनी सरकार को देख जनता को ये जीत हजम नहीं हो रही।
Zp चुनाव में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को मिले मतों के आंकड़े देखे तो भाजपा के 26, एनसीपी के 8, जनता की पार्टी चाबी के 4 एवं निर्दलीय 2 ऐसे कुल 40 मत प्राप्त हुए। वही इस जोड़तोड़ के जादू में कांग्रेस अपने 13 सदस्यों के मत लेकर पराजित रही।
अगर कांग्रेस-एनसीपी की जोड़ी होती तो दोनो के मिलाकर कुल 21 सदस्य होते। चाबी ने गोंदिया पंचायत समिति में एनसीपी के साथ सत्ता स्थापित की है। अगर चाबी के 4 सदस्य प्राप्त होते तो ये आंकड़ा 25 पर ही होता। ऐसे में अगर 2 निर्दलीयों को साथ लेते तो बहुमत का आंकड़ा मिल जाता और सत्ता कांग्रेस-एनसीपी-चाबी व निर्दलीय के पास होती। पर कांग्रेस और एनसीपी में शुरू से बात नहीं बनने के कारण ये नतीजे सामने आए।
भाजपा चाहती तो वो बहुमत के 1 आंकड़ा से पीछे थी, अगर 2 निर्दलीय (जो भाजपा से रूठकर ही विजयी हुए) उनका साथ लेकर सत्ता बना सकती थी, पर एनसीपी-चाबी का साथ लेकर भाजपा ने एक बड़ा विपक्ष खत्म कर कांग्रेस को अकेली करने का कार्य किया।

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