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रिपोर्टर। 03 अगस्त
गोंदिया। 2 अगस्त 2025 को गोंदिया न्यायालय के प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश मा. आर. एन. जोशी की अदालत ने 7 साल पूर्व एक दिव्यांग विधवा महिला के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी देवा उर्फ देवीदास इसकापे को 20 साल की कठोर सजा सुनायी है।
ये वारदात वर्ष 2018 को घटित हुई थी। पीड़ित महिला (उम्र 39) जन्म से मूक-बधिर और विधवा थी। महिला अपने छोटे बच्चों के साथ अपने घर पर रहती थी। वारदात के दिन 14/09/2018 को रात 9:00 बजे से 9:30 बजे के बीच, पीड़िता अपने घर पर टीवी देख रही थी। टीवी देखते समय, आरोपी नंबर 1 भोजराज टेंभुरने और आरोपी नंबर 2 देवा उर्फ देवीदास इसकापे ने पीड़िता के घर में बिना अनुमति के प्रवेश किया और पीड़िता को झूठा प्रलोभन दिया, और पीड़िता उसके झूठे प्रलोभन में नहीं आई, इसलिए आरोपी भोजराज ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया और इस घिनौने कृत्य के दौरान आरोपी नंबर 2 देवा उर्फ देवीदास ने पीड़ित के हाथ-पैर बांधे रखे हुए थे।
घटना के समय पीड़िता का छोटा बेटा जब उसने घटना का विरोध किया तो आरोपी ने उसके गाल पर थप्पड़ मारा और उसे बाहर निकाल दिया। इसके बाद, पीड़िता के छोटे बेटे ने अपने बड़े भाई और चचेरे भाइयों को घटना की जानकारी दी। घटना की सूचना मिलने पर, शिकायतकर्ता का बड़ा बेटा और उसका चचेरा भाई घर आए और आरोपियों को भगा दिया। बाद में, पीड़िता ने अपने बड़े बेटों और अन्य लोगों को पूरी घटना की जानकारी दी।
इस घटना पर पीड़िता के बेटे ने 15/09/2018 को नवेगांवबांध पुलिस स्टेशन में दोनों आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ पुलिस स्टेशन नवेगांव बांध में धारा 376(2)(एल), 376(डी), 109, 323 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया।
मामले की प्रथम जांच जांच अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक प्रतापसिंह शेल्के को सौंपा गया।उसके बाद सहायक पुलिस निरीक्षक स्वप्निल उनवने ने मामले की गहन जांच करने के बाद, आरोपी के खिलाफ माननीय सत्र न्यायालय गोंदिया में उपरोक्त धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया।
उक्त प्रकरण में आरोपी भोजराज टेंभुर्णे की मृत्यु माननीय न्यायालय में प्रकरण लंबित रहने के दौरान हो गई थी। अतः माननीय न्यायालय ने आरोपी क्रमांक 2 देवा उर्फ देवीदास इसकापे के विरुद्ध आरोप विरचित कर प्रकरण को विचारण हेतु नियत किया।
इस मामले में, हालांकि सह-अभियुक्त ने पीड़िता पर यौन हमला नहीं किया, फिर भी दोनों आरोपियों का सामान्य इरादा पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार करना था। इसलिए, सह-अभियुक्तों का कृत्य आईपीसी की धारा 376 (डी) के अनुसार दोनों अभियुक्तों द्वारा किया गया था। इसके अलावा, यदि मुख्य अभियुक्त की मृत्यु भी हो जाती है, तो भी सह-अभियुक्त को उसके द्वारा किए गए अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।