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महायुति में भाजपा, शिवसेना भी गोंदिया विस से टिकट के लिए कर रही मांग..
जावेद खान।
गोंदिया। आगामी ढाई-तीन माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय हो गए है। प्रफुल्ल पटेल की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी सक्रियता से मैदान में कूद गई है।
सोशल मीडिया, अखबारों में आ रही एनसीपी की खबरों एवं राजेन्द्र जैन के नेतृत्व में हो रही बैठक, सभाओं को देख राजनीतिक हलकों में जमकर चर्चा चल रही है कि, इस बार गोंदिया विधानसभा सीट महायुति में एनसीपी को मिलना चाहिए।
पूर्व विधायक राजेन्द्र जैन भंडारा-गोंदिया जिले में इकलौते ऐसे नेता है जिनका प्रफ़ुल्ल पटेल के बाद एनसीपी में कद ऊंचा है। पार्टी के लिए एवं प्रफ़ुल्ल पटेल के लिए दिन-रात एक कर देने वाले इस नेता ने अपना पूरा राजनीतिक जीवन समर्पित कर दिया है। वे पक्ष को, पक्ष के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को जोड़ने 24 घँटे दौड़ते नजर आते है। इतना ही नही, पक्ष के साथ शिक्षण संस्था को संभालने की जिम्मेवारी भी उनके कांधो पर है, जिसका निर्वहन वे अपनी कार्यकुशलता से निरंतर कर रहे है।
प्रफुल पटेल के निष्ठावान करीबी, यू कहें कि प्रफुल्ल पटेल के दाहिना हाथ राजेन्द्र जैन, करीब 30-35 साल से उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है। वे 2016 के पूर्व दो बार भंडारा-गोंदिया विधान परिषद क्षेत्र से 2004 और 2010 में विधायक रहे है।
राजेन्द्र जैन 2016 का एमएलसी चुनाव हार गए। पर उनके कार्य करने की गति कम नही हुई। एनसीपी के सरकार में रहते हुए अनेक छोटे बड़े विकास कार्य प्रफुल्ल पटेल के माध्यम से गोंदिया लाने में राजेंद्र जैन की मुख्य भूमिका रही है।
प्रफ़ुल्ल पटेल के सांसद निधि के कार्य हो, या उनके केंद्रीय मंत्री रहते हुए लाये गए महत्वाकांक्षी बड़े प्रोजेक्ट के कार्य हो, सब कार्य पर नजर बनाएं रखने का कार्य राजेन्द्र जैन ने बखूबी किया है।
राजेन्द्र जैन के इन्हीं कार्यो, कार्यकुशलता को देख, इस रफ्तार को पंख देने अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें गोंदिया विधानसभा से मौका देने की मांग कर रहे है। सोशल मीडिया पर उनका चेहरा फेस किया जा रहा है। गोंदिया विधानसभा से “अबकी बार राजेन्द्र जैन”, ऐसे टैग नजर आ रहे है।
महायुति पर नजर डाले तो, बीते लोकसभा चुनाव में गोंदिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार को करीब 35 हजार वोटों से बढ़त मिली थी। इस बढ़त को लेकर एनसीपी के साथ ही भाजपा, शिवसेना भी कतार में टिकट की मांग को लेकर खड़ी है।
गोंदिया की राजनीतिक स्थिति पर नजर डाले तो, इस सीट से भाजपा ने कभी अपना खाता नही खोला है। जबकि कांग्रेस इस सीट से अनेक बार चुनाव जीती है। शिवसेना ने दो बार भाजपा के सहयोग से ये सीट जीती है। 2014 में भाजपा ने ये सीट गवाई, 2019 में भी गवाई।
अब चर्चा है कि, आगामी ढाई तीन माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में महायुति से इस सीट पर एनसीपी को मौका मिलना चाहिए। अगर प्रफुल्ल पटेल ने चाह तो, ये सीट एनसीपी को मिल सकती है।