गोंदिया: वन अधिकारियों की मारपीट और डर से फांसी लगाकर मरा मेरा बेटा, गंगाझरी पुलिस प्रकरण में बरत रही ढिलाई..

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मृतक की माँ ने पत्र परिषद के माध्यम से उठाई आवाज, दोषी वनाधिकारियों, पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की, कि मांग

प्रतिनिधि।
गोंदिया। पिछले सितंबर माह में जिले के गंगाझरी थानांतर्गत ग्राम कोहका, पोस्ट रतनारा में एक आदिवासी समाज के युवक पर वन्य प्राणी के मौत के मामले पर वन अधिकारी, कर्मचारियों ने एक युवक को बुरी तरह मारपीट कर उसपर वन्यप्राणी को मारने का आरोप लगाकर बार बार फोन कर टॉर्चर किया था, जिससे युवक ने दहशत में आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले पर मृतक की जेब से मिले सोसाइड नोट तथा गवाहदारो के हवाले से गंगाझरी थाने में दोषियों पर कार्रवाई करने हेतु रिपोर्ट दर्ज कराई गई, पर थाना पुलिस दोषियों को बचाने मामले में ढिलाई बरतकर रफा दफा करने में लगी होने का आरोप मृतक की माँ ने आज पत्रकार परिषद में लगाया।

पत्रकार परिषद में मृतक राहुल राजेन्द्र धुर्वे की माँ शीलाबाई बेवा राजेन्द्र धुर्वे 43 के अलावा मृतक का दोस्त गवाहदार प्रकाश खेमलाल सोनवाने-23, संगीता इंद्रकुमार धुर्वे-40, लीलाबाई लेकचंद धुर्वे 55 सभी निवासी कोहका एवं सविता विष्णु उईके 26 व सामाजिक कार्यकर्ता सोमेन्द्र डहाट उपस्थित थे।

मृतक की माँ शिलाबाई एवं चश्मदीद गवाहदारों के बताये अनुसार, कोहका ग्राम के खेत परिसर से 1 किमी दूरी पर वन्यप्राणी भालू की मौत होने की पुष्टि वन अधिकारियों को हुई थी। वन्यप्राणी की मौत पर वन अधिकारीयो ने 3 दिन तक जांच की। इस दौरान अर्जदार शिलाबाई का बेटा जो कर्नाटक में नोकरी करता है वो 11 सितंबर को मामा के गाँव हीरापुर से कोहका आया था। बेटे के आने पर उसे माँ ने खेत में बैल लाने भेजा। मृतक राहुल राजेन्द्र धुर्वे एवं उसका दोस्त प्रकाश खेमलाल सोनवाने खेत गया। उस दौरान वन्यप्राणी की मौत की जांच कर रहे सहायक उपवन सरंक्षक सदगीर, राउंड आफिसर दुर्रानी, बीटगार्ड कुंभरे एवं वनमज़दूर वाघाड़े वहां मौजूद थे। वन अधिकारीयों ने मृतक को अपने पास बुलाया, और तूने भालू को मारा, ऐसा कहकर उसे जंगल परिसर ले जाते हुए उससे मारपीट की। मृतक ने भालू को नहीं मारने की कबूली देकर वो यहां नही रहता ऐसा कहा। इस मारपीट को उसके दोस्त, वहां काम कर रही चश्मदीद गवाहदार महिलाओं ने देखा, और बीचबचाव भी किया।

जब वन अधिकारियों से छुड़ाकर उसे घर लाया गया, तब उसके कुछ घंटों बाद वो अपने मामा की गाड़ी छोड़ने गाँव चला गया। इसी दौरान मृतक के मोबाइल में वन अधिकारी का फोन आया। घर पर रखे फोन को मृतक की माँ ने उठाया। फोन करके कहा गया कि वो अपने बेटे को लेकर गोंदिया आये। ये फोन दो-तीन बार आया। दूसरे दिन यानी 12 सितंबर को मृतक अपने घर आया। और किसी को कुछ ना बताते हुए खेत चला गया। करीब 12 बजे मृतक की माँ शिलाबाई को अजय धुर्वे से खबर मिली कि उसका बेटा राहुल धुर्वे फांसी पर लटका हुआ है।

इस मामले पर अर्जदार ने गंगाझरी पुलिस थाने में शिक़ायत दर्ज कराई और दोषी वन अधिकारियों के बेवजह आरोप और प्रेशर के चलते उसके बेटे ने फांसी लगा ली इस पर दोषी वन अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। परंतु गंगाझरी पुलिस ने इस मामले में वन विभाग से सांठगांठ कर इसमें ढिलाई बरतकर ठंडे बस्ते में डाल दिया ऐसा आरोप मृतक की माँ ने लगाया।

उन्होंने कहा मृतक के जेब से मिले सोसाइड नोट पर साफ लिखा है कि उसके बेटे ने इनकी पिटाई, प्रेशर से घबराकर कुछ भी कर लूंगा का रास्ता अपनाया जबकि वन्यप्राणी की मौत से उसका कोई वास्ता नही। वन्य प्राणी की मौत पर मृतक पर आरोप थोपकर बार बार फोन करने वाले अधिकारियों ने मृतक की मौत पर चुप्पी साध ली, और अब इस वन्य प्राणी की मौत को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे साफ होता है कि वन्य प्राणी की मौत अन्य कारणों से हुई, जबकि मृतक पर बेवजह दबाव बनाया गया जिसके चलते उसने फांसी लगा ली।

इस मामले में दोषी वन अधिकारियों, तथा गंगाझरी पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग पत्र परिषद के माध्यम से मृतक की माँ ने की है। न्याय नही मिलने पर इस मामले को लेकर वे आदिवासी समाज संगठना के माध्यम से आवाज उठाएगी ये भी कहा।

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