महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में ज्योतिर्लिंग महाकाल के दर्शन पाकर भक्त हुए निहाल, कशिश के संपादक शम्मी जायसवाल ने किए दर्शन

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मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव से उनके निवास पर भेंट की शम्मी जायसवाल ने
गोंदिया/उज्जैन (कशिश)।
 परंपरा अनुसार महाशिवरात्रि पर मंगलवार रात 2.45 बजे भगवान महाकाल के मंदिर के पट खुले। इसके बाद पुजारियों ने भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन किया। महानिर्वाणी अखाडे के महंत विनीतगिरिजी महाराज ने भगवान को भस्म अर्पित की। इसके बाद भगवान को भोग लगाकर आरती की गई। सुबह 5.30 बजे से आम दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। इस मौके पर लाखों की संख्या में भक्तगण नजर आए। इस महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में ज्योतिर्लिंग महाकाल के दर्शन पाने के पश्चात गोंदिया के दैनिक कशिश समाचारपत्र के मुख्य संपादक शम्मी जायस्वाल की महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन के आशीर्वाद स्वरूप भारतीय जनता पार्टी के कैबिनेट मिनिस्टर मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव जी उनके निज निवास पर भेंट हुईं। वहीं भेंट के दौरान भविष्य की योजना को लेकर विस्तारित चर्चा हुई एवं मंत्री जी ने मुख्य संपादक शम्मी जायस्वाल को प्रोत्साहित किया और भविष्य में हर योजना में साथ देने की बात कही।
गौरतलब है कि भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व का उल्लास छा गया। इस दौरान तडक़े से ही भक्तों की भीड़ छा गई। मंगलवार तडक़े 2.45 बजे गर्भगृह के पट खुलते ही चहुंओर जय महाकाल का उद्घोष सुनाई दे रहा है। भक्तों का प्रवेश 5.30 बजे से शुरू हुआ है, जो बुधवार रात 11 बजे तक जारी रहेगा। अपने निराले राजा महाकाल के दर्शन पाकर भक्त निहाल हो रहे हैं। सुबह चार धाम मंदिर के पास श्रद्धालुओं के बीच धक्का-मुक्की की घटना सामने आई थी, लेकिन मंदिर में ड्यूटी पर लगी पुलिस की सतर्कता से सब ठीक हो गया। सामान्य दर्शनार्थियों के लिए नि:शुल्क दर्शन की दो कतार लगी है। एक कतार 250 रुपये के शीघ्र दर्शन टिकट वाले श्रद्धालुओं के लिए आरक्षित की गई है।
धर्मनगरी उज्जैन विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जबकि शहर भर में 11 लाख दीपक जलाए जाएगे। शिप्रा के घाटों पर स्वयंसेवक भी पहुंचने लगे हैं। शाम साढ़े छह बजे सायरन बजते ही दीप प्रज्ज्वलित होने शुरू हो जाएंगे। आधे घंटे के भीतर दीये जलाए जाएंगे। इसके बाद गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड की टीम ड्रोन कैमरे से इसकी गिनती करेगी। इसके बाद सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अभी यह रिकॉर्ड अयोध्या के नाम है।  महाशिवरात्रि पर रोशनी के पर्व को शिव ज्योति अर्पणम नाम दिया गया है। इसके तहत शिप्रा के घाटों के अलावा पूरे शहर में दीप जलाए जाएंगे।
11 लाख दीये जलाए जाएंगे..
इसमें शहर भर से कई सामाजिक संगठन, संस्थाएं, समाज के लोग आदि शामिल हो रहे हैं। सरकारी भवनों को सजाया गया है। आकर्षक विद्युत सजावट। महाकाल मंदिर, कालभैरव, मंगलनाथ, चिंतामन, हरसिद्धि मंदिर में भी दीपोत्सव के तहत दीपों को सजाया जाएगा। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।
महाकालेश्वर मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं ंकी भीड़
महाकालेश्वर मंदिर में आज महाशिवरात्रि पर्व पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. देर रात 12 बजे से ही मंदिर के बाहर हजारों श्रद्धालु महाकाल के दर्शनर्श के इंतजार में खड़े दिखाई दिए. आज सुबह 2 बजे महाकालेश्वर मंदिर के पट खुले. जिसके बाद श्रद्धालुओंलु ओंको मंदिर में प्रवेश दिया गया. महाशिवरात्रि पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु महाकाल के जयकारे लगाकर दर्शन के लिए इंतजार करते दिखाई दिए.
महाकालेश्वर का किया गया विशेष पूजन
महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर के पुजारियों ने महाकालेश्वर का विशेष पूजन-अभिषेक किया गया. दूध, दही, शहद, पंचामृतमृ , फलों के रस सहित विभिन्न पदार्थों से महाकाल को स्नान करायागया. पूरे विधि-विधान से महाकालेश्वर की भस्म आरती की गई. पुजारियों ने भस्म आरती के बाद महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया. ढोल-नगाडें के साथ महाकालेश्वर की श्रृंगार आरती की गई.जिसके बाद मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो गया.
 महाकालेश्वर मंदिर के ये गूढ़ रहस्य..
भगवान शिव को समर्पित यह स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में बना है। इस मंदिर का कई पौराणिक ग्रंथों में काफी सुंदर वर्णन मिलता है। देश-दुनिया से यहां सभी महाकाल यानी भगवान शिव के दर्शन हेतू पूरे साल आते रहते हैं, मगर कुंभ के दौरान यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके साथ ही मान्यताओं के अनुसार, मंदिर से जुड़ी कई किंवदंती भी प्रचलित हैं। जिस कारण से यह मंदिर, पर्यटकों की सूची में सबसे ऊपर आता है। आइए, जानते हैं क्या है महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रहस्य, जिन्हें आज तक कोई नहीं भेद सका।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित है। इसके ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है, नीचे ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे जाकर आपको महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजित नजर आते हैं। जहां आपको भगवान शिव के साथ ही गणेशजी, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां एक कुंड भी है जिसमें स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
ऐसे हुए थे प्रकट.. 
मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है। दरअसल दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। फिर जब दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही वास करने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। ऐसे उज्जैन का शास्त्रों में वर्णन भगवान श्रीकृष्ण को लेकर भी मिलता है, क्योंकि उनकी शिक्षा यहीं हुई थी.
इसलिए है इतना प्रसिद्ध…
उज्जैन को प्राचीनकाल से ही एक धार्मिक नगरी की उपाधि प्राप्त है। आज भी यहां भारी संख्या में दर्शन के लिए भक्त आते हैं। दरअसल भगवान महाकाल की भस्म आरती के दुर्लभ पलों का साक्षी बनने का ऐसा सुनहरा अवसर और कहीं नहीं प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि जो इस आरती में शामिल हो जाए उसके सभी कष्ट दूर होते हैं, इसके बिना आपके दर्शन पूरे भी नहीं माने जाते हैं। इसके अलावा यहां नाग चंद्रेश्वर मंदिर और महाकाल की शाही सवारी आदि भी पर्यटकों में जिज्ञासा का विषय बने रहे हैं.
क्यों होती है भस्म आरती..
 हर सुबह महाकाल की भस्म आरती करके उनका श्रृंगार होता है और उन्हें ऐसे जगाया जाता है। इसके लिए वर्षों पहले शमशान से भस्म लाने की परंपरा थी, हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकडियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म को कपड़े से छानने के बाद इस्तेमाल करना शुरू हो चुका है। केवल उज्जैन में आपको यह आरती देखने का सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। दरअसल भस्म को सृष्टि का सार माना जाता है, इसलिए प्रभु हमेशा इसे धारण किए रहते हैं।
यह है खास नियम…
यहां के नियमानुसार, महिलाओं को आरती के समय घूंघट करना पड़ता है। दरअसल महिलाएं इस आरती को नहीं देख सकती हैं। इसके साथ ही आरती के समय पुजारी भी मात्र एक धोती में आरती करते हैं। अन्य किसी भी प्रकार के वस्त्र को धारण करने की मनाही रहती है। महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं, इस कारण से भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है। इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है। ज्ञात रहे कि महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान महाकाल के मंदिर में की गई संपूर्ण व्यवस्था तथा आयोजित कार्यक्रमों का संपूर्ण श्रेय गोंदिया के दैनिक कशिश के मुख्य संपादक शम्मी जायस्वाल ने भारतीय जनता पार्टी के कैबिनेट मिनिस्टर मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव जी को दिया।

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