गोंदिया न्यायालय का फैसला: बेटी की आबरू लूटने वाले नराधमी पिता को 20 साल की (मरते दम तक) कठोर सजा..

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प्रतिनिधि। 10 जनवरी
गोंदिया। खुद की 12 साल की बेटी के साथ लैंगिक अत्याचार करने वाले आज के कुकर्मी, नराधमी बाप को न्यायालय ने गंभीर अपराध मानते हुए मरते दम तक 20 साल की कठोर सजा सुनाई है।
आज 10 जनवरी 2022 को सरकार की तरफ से इस प्रकरण की पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील एड. कृष्णा डी. पारधी व आरोपी के वकील द्वारा चली सुनवाई, युक्तिवाद पर अंतिम महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सरकारी वकील के सबूतों व गवाहों के बयान को ग्राहय मानते हुए मा. न्यायालय श्री एस ए. ए. आर. ओटी प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश तथा विशेष सत्र न्यायाधीश गोंदिया ने आरोपी प्रल्हाद अनंतराम कोठेवार को दोषी मानते हुए 20 साल की (मरते दम तक) कठोर सजा सुनाई।
इसके साथ ही न्यायालय ने 50 हजार का दंड, दंड न भरने पर 3 साल की अतिरिक्त सश्रम सजा सुनाई। धारा 506 भादवि के तहत 3 साल सश्रम कारावास व 5 हजार रुपये दंड, दंड न भरने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई।
न्यायालय ने आदेश में कहा, दंड की रकम पीड़िता को दी जाए। मनोधर्य योजना अंतर्गत पीड़िता के पुनर्वसन के लिए जिला विधि व सेवा प्राधिकरण द्वारा योग्य सहयोग किया जाए।

ये था प्रकरण..

9 दिसंबर 2018 सुबह 10 बजे के दौरान पीड़ित लड़की उम्र 12 वर्ष की माँ, खेती कार्य हेतु बाहर चली गई थी। घर में पीड़िता व पिता मौजूद था। बेटा मवेशी चराने भी घर से बाहर गया हुआ था। नराधमी बाप ने बेटी को घर पर अकेली पाकर उसे निवस्त्र किया और उसके साथ शारीरिक दुष्कर्म किया। आरोपी ने पीड़िता को किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी।
जब पीड़िता की माँ घर वापस आयी तो, पीड़ित लड़की ने सारी बाते उसके सामने रख दी। माँ का इस घटना पर दिल सिहर उठा, और उसने बाप द्वारा बेटी पर किये गए इस गंभीर, कलंकित कृत्य पर बेटी को न्याय दिलाने अपने ही पति के खिलाफ आमगांव पुलिस थाने में 10 दिसंबर 2018 को शिकायत दर्ज कराई।
आमगांव पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक अजित कदम ने आरोपी प्रह्लाद अनंतराम कोठेवार उम्र- 40 निवासी आमगांव, जिला गोंदिया के खिलाफ भादवि की धारा 376-2, एफ 376-3 व धारा 506, बाल लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध कानून की धारा 6 अंतर्गत मामला दर्ज कर इसकी चार्जशीट मा न्यायालय में पेश की।
इस प्रकरण में पुलिस अधीक्षक विश्व पानसरे के मार्गदर्शन में पैरवी अधिकारी के रूप में न्यायालयीन कामकाज में सहयोग मपुशि सुनील लिल्हारे, पुशि सुनील बावनकर ने संभाला।

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