कांग्रेस के पूर्व विधायक कोरोटे ने कहा- जहाँ इज्जत नहीं उस पार्टी में क्या रहना…

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सहसराम कोरोटे के शिवसेना प्रवेश में निर्णय से कांग्रेसी खेमे में भूचाल..

जावेद खान।
गोंदिया। मशहूर शायर मिर्जा गालिब का एक शेर याद आया, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेंरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले। बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले”। ये शायरी आमगांव-देवरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक सहसराम कोरोटे पर सटीक बैठती है।
पूर्व विधायक कोरोटे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है जिसके कारण उन्हें कांग्रेस को छोड़कर दूसरे पक्ष में जाना मजबूरी हो गई।
सहसराम कोरोटे के साथ भी कांग्रेस पार्टी ने बड़ा कुठाराघात किया है। जिले में देवरी-आमगांव विधानसभा सीट से वे कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही जिला परिषद में इस क्षेत्र से सर्वाधिक सीटे कांग्रेस ने लायी। उन्होंने कांग्रेस को बढ़त दिलाने के साथ ही जिंदा रखने का कार्य किया। पर जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गड़चिरौली और भंडारा-गोंदिया से विजयी मिली तो, कांग्रेस ने अहंकार में आकर इस सीट से कोरोटे की टिकट ही काट दी और किसी अन्य को टिकट देकर उनका अपमान तो किया ही साथ ही जीती हुई सीट भी गवां दी।
पूर्व विधायक सहेसराम कोरोटे के साथ हुए इस अन्याय के बावजूद उन्होंने पार्टी से दगा नही किया और ना ही बागी तेवर अपनाकर चुनाव लड़ा। परंतु कांग्रेस के अन्याय कारक रवैये से कोरोटे दुखी थे। पार्टी को इतना समय देने, समर्पित भाव से कार्य करने और बुरे दौर में पार्टी को संभालने के बावजूद मान सम्मान और इज्जत न मिलने पर पूर्व विधायक को अन्य पक्ष का रास्ता अपनाना पड़ा।
 
कोरोटे कहते है कि पार्टी ने उनके साथ गद्दारी की। प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने खुद के अहंकार के लिए इस सीट को खो दिया। नाना पटोले नही चाहते थे कि कोई दूसरा पार्टी में आगे बढे। आलाकमान नेताओ के कारण ही आज जीती सीट हम खो चुके है। दो कांग्रेस सांसद और तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के रहते हुए हमने दोनों जिलों की 7 सीटों पर कोई जीत दर्ज नही की। प्रदेशाध्यक्ष खुद अपनी सीट हारते हारते बचा पाए। ये हार पार्टी की गलत नीतियों को दर्शाती है।
 
उन्होंने कहा, वे राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुंबई में मिलें थे। उनके स्वभाव और कार्य करने की शैली से मैं बहोत प्रभावित हुआ है। उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल अभूतपूर्व और राज्य को विकास की ओर ले जाने वाला रहा है। मैंने शिवसेना में जाने की तैयारी कर ली है। उपमुख्यमंत्री श्री शिंदे 20 फरवरी को या फिर उसके बाद कभी भी देवरी आ सकते है। उनके नेतृत्व में ही मैं अपने समर्थकों के साथ पक्ष प्रवेश करूंगा और क्षेत्र की जनसमस्याओं को उठाकर सरकार के माध्यम से उसका समाधान करते रहूँगा।

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