दो अग्रवालों सहित 15 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद, 23 को खुलेगा भाग्य का पिटारा…

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शाम 5 बजे तक 65.45 प्रतिशत मतदान, 6 बजे तक का प्रतिशत 70 के ऊपर जाने की संभावना..

जावेद खान
गोंदिया। आज 20 नवम्बर को हुए विधानसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुई। चुनाव प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक पार्टियों की स्थिति एकदम टाइट दिखाई दी। गोंदिया विधानसभा क्षेत्र से 15 प्रत्याशी मैदान में रहे जिनके लिए मतदाताओं ने मतदान का जमकर अधिकार बजाकर उनके भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया।

गोंदिया विधानसभा में मतदान का प्रतिशत सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक 65.45 रहा। जबकि 1 घँटे का प्रतिशत चुनाव विभाग द्वारा जारी नहीं हुआ। अगर शाम 6 बजे तक का मतदान माना जाए तो मतदान प्रतिशत 70 के ऊपर जाने की प्रबल संभावना है।

मतदान प्रक्रिया के दौरान 90 साल से लेकर 18 साल तक के मतदाता तक मतदान केंद्र में उत्साह के साथ नजर आए। महिलाओं की संख्या भी बड़ी संख्या में देखी गई। गाँव-गाँव मे मतदान का प्रतिशत 85 के पार तक देखा गया।

चुनाव में अगर उम्मीदवारों की बात करें तो, यहां असली लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच रही। मजे की बात तो ये है कि, वर्ष 2014 से ये तीसरा चुनाव है जब दो अग्रवाल आमने सामने है। 2014 में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक रहे गोपालदास अग्रवाल ने भाजपा के विनोद अग्रवाल को पराजित कर कांग्रेस का परचम लहराया था। वही 2019 में कांग्रेस से हटकर भाजपा से चुनाव लड़े तत्कालीन विधायक गोपालदास अग्रवाल, निर्दलीय उम्मीदवार रहे विनोद अग्रवाल से चुनाव हार गए थे।

इस चुनाव में दोनों अग्रवाल यथावत अपनी -अपनी पार्टी से उम्मीदवार रहकर तीसरी बार, मैदान में डटे रहे। इस बार कौनसा अग्रवाल जीत दर्ज करेगा, या अन्य कोई हाथ मारेगा ये देखने जनता में उत्साह भरा हुआ है।

गौर हो कि तीसरी बार भीड़ रहे दो अग्रवालों की चुनावी जंग काफी मायने रखती है। गोपालभैया इस सीट से कांग्रेस से 3 बार विधायक रहे वही भाजपा, कभी इस सीट को पा नही पायी। गोंदिया का इतिहास है कि भाजपा ने आजतक अपना खाता नहीं खोला, इसलिए भाजपा इस बार जनता के विधायक की उपाधि से नवाज़े जा चुके विनोद अग्रवाल के जनप्रतिनिधित्व में अपना खाता खोलने एड़ी चोटी का जोर लगा चुकी है।

कांग्रेस के गोपाल अग्रवाल ने 15 साल विधानसभा एवं इसके पूर्व 12 साल विधान परिषद से नेतृत्व किया है। वे इस सीट को वापस पाने चुनाव को प्रतिस्ठा का चुनाव मानकर जबरदस्त तरिके से चुनाव में डटे रहे। भाजपा को इसबार पक्की उम्मीद है कि ये चुनाव ऐतिहासिक चुनाव होगा, जहां भाजपा, अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा का नारा लगा रही है।

दोनों अग्रवालों ने इस चुनाव को गर्मागर्म तरीक़े से लड़ा। एक दूसरे पर जमकर प्रहार किया। किसी ने ठेकेदार कहा तो किसी ने पलटूदास। इन दोनों के बीच ऐसे भी कई उम्मीदवार है जो ओबीसी फेक्टर पर, दलित-मुस्लिम फेक्टर पर जनता का रुख अपनी ओर खींचने का प्रयास करते रहे।

बहरहाल अब, सबकी किस्मत को मतदाताओं ने ईवीएम के पिटारे में बंद कर दिया है। 23 को पिटारा खुलने पर पता चलेगा कि जनता किसे अपना जनप्रतिनिधित्व सौंपती है। बहरहाल स्थिति रोमांचक और आंकड़ो के झमेले में फंसी हुई है।

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