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प्रतिनिधि। 07 जून
गोंदिया। अगर कोई कहे कि, पूर्व सांसद सुनील मेंढे को मेरी वजह से, मेरे दम पर या मेरे पार्टी के कार्यकर्ताओं की वजह से गोंदिया विधानसभा क्षेत्र में 35 हजार 499 वोटों की बढ़त मिली तो, ये उस दल, उस व्यक्ति द्वारा रचा गया झूठ का पुलिंदा मात्र है। अब जबकि महायुति के उम्मीदवार पराजित हो गए, तब भी वोटों की बढ़त में श्रेयवाद का ढिंढोरा पीटना अनैतिक व बेतुका है।
उक्त टिप्पणी गोंदिया जिला शिवसेना प्रमुख मुकेश शिवहरे ने दी। मुकेश शिवहरे ने आगे कहा, लोकसभा चुनाव कोई अकेला नहीं लड़ा गया। यहाँ भाजपा, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजित पवार), चाबी, और अन्य घटक दलों का सहयोग लेकर महायुति के रूप में चुनाव लड़ा गया। महायुति के उम्मीदवार पूर्व सांसद सुनील मेंढे को भाजपा के चुनाव चिन्ह पर प्रत्याशी बनाकर चुनाव में उतारा गया।
शिवहरे ने कहा, चुनाव में सभी महायुति में शामिल राजनीतिक दलों ने उम्मीदवार के जीत के लिए कड़ी मशक्कत की, दिन रात एक किये। सभाएं ली, प्रचार किया। अब जब चुनाव संपन्न होकर नतीजे आये तो महायुति के उम्मीदवार को पराजय का सामना करना पड़ा।
चुनाव में हारजीत तो होती रहती है। महायुति ने अपने उम्मीदवार को विजयश्री दिलाने भरसक प्रयास किये बावजूद हम कुछ जगहों पर कमजोर पड़ गए। लेकिन गोंदिया विधानसभा क्षेत्र एवं तिरोडा विधानसभा क्षेत्र में हमसब के प्रयास सफल रहे।
महायुति उम्मीदवार को तिरोडा में कांग्रेस उम्मीदवार की अपेक्षा 82 हजार 700 मत मिले और वे 8 हजार 938 मतो से आगे रहे। इसी तरह गोंदिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार ने कांग्रेस प्रत्याशी से 35 हजार 499 मतो की बढ़त लेकर कुल 1 लाख 10 हजार 811 मत हासिल किए।
ये बढ़त सिर्फ महायुति के आपसी समन्वय, योजनात्मक नियोजन, तालमेल से संभव हो पाया। पर अगर कोई ये कहे कि हमारे वजह से हुआ तो, ये तर्कहीन, बेतुकी बात है। महायुति में रहकर, खुद को बढ़ा बताने का प्रयास करना सिर्फ झूठी वाहवाही लूटना मात्र है।