लौट आया बचपन, 27 वर्ष बाद पुराने वर्ग मित्रो की बोदलकसा जलाशय के किनारे लगी पाठशाला..

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गोंदिया। जिंदगी में बचपन की यादों का महत्व कुछ खास ही होता है। फिर यादें अगर छात्र जीवन की हो, तो बात ही कुछ अलग होती है। इसी तरह की ढेर सारी बेहद खूबसूरत यादें उस सम्मेलन में आए सभी लोगों के चेहरों पर तैर रही थी। कोई हंस रहा था, कोई मुस्कुरा रहा था, तो कोई सूनी आंखों से अपने बचपन के दोस्तों को निहारता हुआ अपनी धर्म पत्नी व अपने पाल्यो को छात्र जीवन की कहानियां बता रहा था
। यह अदभुत झलकियां प्रकृति की गोद में बसे खूबसूरत बोदलकसा जलाशय के महाराष्ट्र टूरिज्म होटल में 1 जुलाई को आयोजित रामकृष्ण कनिष्ट महाविद्यालय के 1995 के दसवीं में पढ़े पुराने वर्ग मित्रो के सम्मेलन की थी। इस दौरान पुराने वर्ग मित्रों के परिवारों की 27 वर्ष के बाद जलाशय के किनारे पाठशाला सज गई थी जिसमें कोई आरमोरी गडचिरोली से आया था, तो कोई गोंदिया से,तो कोई कहीं और से। ये लोग सालों पहले वहां पढा करते थे, और यहां से निकलकर बिछुड़ गए, तो कोई जिंदगी में सफलता की ढेर सारी सीढिय़ां चढ़ गया तो कोई अपनी हिम्मत से आसमां में उडने लगा।
लेकिन ये मित्र जब बोदलकसा में पहुंचे, तो सारे अपनी अपनी ऊंची हैसियत को एक तरफ छोडक़र फिर से बचपन के उसी दौर में पहुंच गए, जैसे यहां पढऩे के दिनों में रहा करते थे। इस सम्मेलन में इन वर्ग मित्रों के परस्पर मिलन और स्नेह से 1 जुलाई की बारिश के पहले दिन को भी भुला दिया।
ग्रुप के आनंद पटले ने सम्मेलन की गतिविधियों पर प्रकाश डोलते हुए आयोजन को सफल बनाने में वर्ग मित्रों व उनके परिवार के सदस्यों का सामान्य भाषा के शब्दों का प्रयोग कर सभी का स्वागत किया।
इस सम्मेलन में आरामोरी से आए पंकज वरखड़े व चंदा पंकज वरखड़े का भव्य स्वागत होटल टूरिज्म के गेट पर किया गया।
इस सम्मेलन में आनंद पटले, शैलेश नंदेश्वर,भरत घासले, ईश्वर ऊकरे, दुर्गाप्रसाद चौधरी, रंजीत शहारे, पंकज वरखड़े,रामू पारधी, चौकलाल वाढवे, ओमप्रकाश डिब्बे, लिकेश राहंगडाले,संजना आनंद पटले, चंदा पंकज वरखड़े, ओविका शैलेश नंदेश्वर, कीर्ति दुर्ग्रप्रसाद चौधरी, चुनेश्वरी रामू पारधी, हिना रंजीत शहारे, छाया ईश्वर उकरे आदि सामिल हुए थे।

तेरे जैसा यार कहां…

इस सम्मेलन में वर्ग मित्र शैलेश नंदेश्वर ने एक गीत प्रस्तुत किया कि तेरे जैसा यार कहां… इस गीत को सुनते ही सभी मित्र भावुक हो गए थे।इतना ही नहीं तो मित्रों की जीवनसंगिनीया तथा बच्चों ने इस गीत को साथ देते हुए सभी के चेहरों पर आनंद ला दिया । इसी तरह छाया ईश्वर उकरे ने भी अपनी सुरीली आवाज में मराठी गीत प्रितीच झुळ झुळं पाणी…गीत प्रस्तुत कर बारिश के पहले दिन की याद दिलाई । आनंद पटले ने पल पल दिल के पास ….. गीत की प्रस्तुति कर पुराने मित्रो को हृदय के खरीब लाने का संदेश देते हुए फिर से यादों को ताजा कर दिया

 पर्यावरण का संदेश भी पहुंचाया

अक्सर यह देखा जाता है कि जब कोई सम्मेलन या कोई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है उस दौरान खानपान के लिए बड़े पैमाने पर प्लास्टिक ,कागज जैसी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। लेकिन यहां पर ऐसा कुछ नहीं किया गया पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने तथा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक ऐसा संदेश दिया गया कि यहां पर पधारे सभी मित्रों के परिजनों को पलास के पत्तों में अल्पाहार परोसा गया। जब पत्तल के पेड़ों के पान हाथ में आए तो फिर से बचपन की यादे ताजा हो गई । उस समय पत्तों में ही अधिकतर भोजन तथा नाश्ता किया करते थे। हालाकी इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि पर्यावरण का संदेश अपने मित्रों के माध्यम से घर घर तक पहुंचा जाए

 और पुरुषोत्तम इंग्लैंड से हुए लाइव

इस सम्मेलन का निमंत्रण रामकृष्ण ग्रुप के माध्यम से सभी वर्गों मित्रों को प्रेषित किया गया था जिसका प्रतिसाद अच्छा मिला। कुछ कारणवश कुछ वर्ग मित्र नहीं पहुंच पाए । लेकिन उन्होंने मोबाईल, whatsapp के माध्यम से सम्मेलन को साजा किया ।हमारे मित्र पुरुषोत्तम ने तो इस सम्मेलन को इंग्लंड से करीब से देखा। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से सम्मेलन का आनंद लिया। इतना ही नहीं तो सभी से बातचीत भी की

आगे का सम्मेलन होगा महासम्मेलन

इस सम्मेलन के अवसर पर सभी मित्रों ने आगे होनेवाले आयोजित कार्यक्रम के संदर्भ में मंथन व चर्चा की जिसमें बताया गया कि यह सम्मेलन अब महासम्मेलन का रूप लेगा। सभी के सम्मति से अगला सम्मेलन महासम्मेलन के रूप में मनाया जाएगा । जिसका स्थल भी प्राकृतिक सौंदर्य से सजा होगा ।

भोजन और मिठाई खाकर सम्मेलन को पूर्णविराम

सम्मेलन के पश्चात वेज नॉन वेज भोजन का आयोजन महाराष्ट्र टूरिज्म स्टार कैटेगिरी के होटल में किया गया था । सभी ने एक साथ भोजन कर मिठाई का स्वाद लिया ।इसकी लिए सबसे अधिक मेहनत अमीर व अमीर की जिवनसंघिनी ने ली ।सभी को अच्छा भोजन खिलाने का भरपूर प्रयास किया । भोजन और मिष्ठान का स्वाद लेने के बाद सम्मेलन को पूर्ण विराम देती हुए हाय, हलो कर अपने अपने गंतव्य की और वर्ग मित्रों ने अपने परिवार को लेकर सारस की जोड़ो की तरह उड़ भर दी।

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