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गोंदिया न्यायालय का फैसला: बालक के साथ अनैसर्गिक कृत्य करने के मामले पर गोंदिया के इतिहास में पहली बार आरोपी को कठोर सजा..
प्रतिनिधि। 4 मार्च
गोंदिया। आज 4 मार्च को गोंदिया जिला सत्र न्यायालय ने पॉक्सो प्रकरण के तहत सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। ये शायद गोंदिया के इतिहास में पहला मामला है जब किसी आरोपी को एक बालक के साथ जबरदस्ती, डरा धमकाकर अनैसर्गिक कृत्य करने पर कोर्ट ने कठोर सजा सुनाई है।
जिला न्यायालय के प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायाधीश मा. एस.ए.ए.आर औटी ने जिले के अर्जुनी मोरगाँव थाना क्षेत्र में घटी इस समाज को कलंकित करने वाली घटना पर भादवि की धारा 377, 363, 506 व बालयौन शोषण अधिनियम 2012 की कलम 6 अंतर्गत आरोपी राका उर्फ राकेश मडावी उम्र 30 को दोषी मानते हुए 17 साल की कठोर सजा व 60 हजार दंड की सजा सुनाई।
इस मामले पर सरकार की ओर से एवं पीड़ित/फिर्यादि की ओर से पैरवी विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी. पारधी व जिला सरकारी वकील महेश चांदवानी ने की। सरकारी वकील ने आरोपी के खिलाफ कुल 9 गवाहदार कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये।
मा. न्यायालय ने इस प्रकरण पर दोनों पक्षों की सुनवाई, युक्तिवाद, आरोपी की उम्र, डॉक्टरी रिपोर्ट को ग्राहय मानते हुए आरोपी को पॉक्सो अंतर्गत 10 साल की कठोर सजा व 50 हजार दंड की सजा सुनाई वही दंड न भरने पर 2 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई। इसके साथ ही भादवि की धारा 363 अंतर्गत 5 साल सजा व 5 हजार दंड, दंड न भरने पर 1 साल की सजा, धारा 506 अंतर्गत 2 साल की सजा व 5 हजार दंड, दंड न भरने पर 1 साल सजा ऐसा कुल 17 साल की कठोर सजा सुनाई।
ये था प्रकरण: ये प्रकरण मार्च 2017 के दौरान जिले के अर्जुनी मोरगाँव थाना अंतर्गत घटित हुआ। पीड़ित बालक के फिर्यादि पिता हर रोज की तरह घटना वाले दिन अपनी दुकान से वापस रात 8 बजे घर लौटे तो, 11 वर्ष 8 माह के पीड़ित बालक ने उनसे सारी घटना बयान की। पीड़ित के बयान अनुसार वो शाम को घर के आंगन में खेल रहा था, तभी मोहल्ले के आरोपी राका उर्फ राकेश मडावी वहां आया और पीड़ित को कबाड़ी की दुकान चल, 20 रुपये दूंगा ऐसा कहकर लेकर गया। आरोपी ने उसे गाँव के बाहर पानी टँकी के पास एक तनस के ढिग के पीछे ले गया। वहां उसने अपने कपड़े उतारे व बालक के जबर्दस्ती कपड़े उतारे। जब उसने विरोध किया तो, उसका मुंह दबाया और जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ अनैसर्गिक कृत्य किया।
विशेष सरकारी वकील कृष्णा पारधी ने कहा, वर्ष 2018 में देश की सर्वोच्च न्यायालय में नवजोतसिंग जौहर वि. भारत सरकार के प्रकरण पर धारा 377 भादवि के तहत फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, जब अगर दो लोग स्वयमर्जी से अनैसर्गिक सम्बन्ध रखते है तो वो दंडनीय अपराध नहीं। मगर बिना सहमति के अनैसर्गिक कृत्य करते है तो वो दंडनीय अपराध माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के इसी निर्णय के आधार पर गोंदिया न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराकर सश्रम कारावास की सजा सुनायी। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित बालक हो या बालिका, उसपर हुए यौन शोषण को बाल लैंगिक अपराध ही माना जायेगा। आज का निर्णय समाज के लिये एक दिशा दर्शक है।
कोर्ट के मामले पर पुलिस विभाग की ओर से पुलिस निरीक्षक चंद्रकांत सूर्यवंशी अर्जुनी मोरगाँव के देखरेख में म.पु.हवा. गीता ठाकुर/तुरकर ने कामकाज संभाला।