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सदगुरु ऋतेश्वर महाराज का गोंदिया आगमन, सांसद प्रफुल्ल पटेल, राजेन्द्र जैन ने की अगुवाई, गुरुदेव ने प्रेस से की भेंटवार्ता..
प्रतिनिधि। 20 दिसंबर
गोंदिया। कल 21 दिसंबर से शहर के डी.बी. साइंस कॉलेज के प्रांगण में भव्य रूप में शुरू होने जा रही तीन दिवसीय हनुमंत कथा हेतु पावनधरा वृदांवन के आनंदम धाम के पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज का आज बिरसी एयरपोर्ट पर आगमन हुआ।
पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज के आगमन पर उनकी अगुवाई करने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद प्रफुल्ल पटेल, पूर्व विधायक राजेन्द्र जैन सहित बड़ी संख्या में समाजसेवियों की उपस्थिति रही। सांसद प्रफुल्ल पटेल ने महाराष्ट्र की धरती पर पावन चरण रखने पर गुरुदेव महाराज का भव्य स्वागत किया और आशिर्वाद ग्रहण किया।
पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज के सांसद प्रफुल्ल पटेल के रामनगर स्थित निवास स्थान पर आगमन पर उनका सासंद पटेल एवं वर्षा पटेल ने पूजन व पुष्प अर्पित कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया।
सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने इस दौरान पत्रकारों को संबोधित किया। पूज्य महाराज ने कहा, मैं स्वयं को महाराष्ट्र के इस गोंदिया शहर की पावनधरा में आकर प्रफुल्लित हो उठा हूँ। मैं प्रोफेशनली कथाकार नहीं हूँ। जब लगता है और मन प्रफुल्लित होता है तो कथा कर लेता हूँ। कथा तो अनेक प्रकार की होती है। कथाकार भी बहोत होते है पर मैं कथा राष्ट्र के निर्माण के लिए करता हूँ। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए करता हूँ।
हनुमंत चरित्र कई जगह मिलते है। चालीसा में, रामायण में, महाभारत में एवं अन्य ग्रंथों में उनका उल्लेख है। हनुमान बलशाली और धैर्यवान थे। किसी ने हनुमान जी कहा था, आप साधना क्यों करते है? तब हनुमान जी ने कहा था- वे साधना युद्ध के लिए नहीं, शांति के लिए करते है। शक्ति से समग्रता के लिए। हम कथा में तनावमुक्त, बलशाली है पर नियंत्रण कैसे, मर्यादित बल, विवेक और धैर्यता पर बात करेंगे।
पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा, हम हनुमान लला से जीवन कला पर बात करेंगे। वानर, नर पर चर्चा होगी। विज्ञान पर, ज्ञान पर बात होगी। AI आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और EI पर बात करेंगे। उन्होंने कहा- नॉलेज इज द की ऑफ सक्सेस। ज्ञान ही सफलता की कुंजी है। और सफलता का पैमाना शांति है।
पीठाधीश्वर सद्गुरु ऋतेश्वर जी ने आगे कहा- मैं सिर्फ किसी पीठ का पीठाधीश्वर या कथाकार नही हूँ। मैं साइंस से उच्च शिक्षा प्राप्त हूँ। बचपन में मैंने पढाई के दौरान एक प्रश्न साइंस वरदान है या अभिशाप का उत्तर वरदान लिखा था, पर अब मुझे लगता है कि मैं गलत था। अब कोई कहेगा तो मैं अभिशाप ही लिखूंगा।
महाराज आगे कहते है- विज्ञान की मदद से बुद्धिजीवी मानव ने इतने खतरनाक बम बना लिए है जिससे इस पृथ्वी को 30 बार नष्ट किया जा सकता है। पर इसी विज्ञान से ज्ञान प्राप्त करने वाले के पास अबतक एक आदमी को जिंदा करने का कोई पॉवर नही है। साइंस के पास वो पॉवर नही है कि वो मरे हुए को जिंदा कर सके। जिंदा एक नही कर सकते और मार 30 बार सकते हो वो भी 8 अरब लोगो को!!
ये पंचतत्व का शरीर है ये विज्ञान ही तो है। रामायण में आया तो पाखण्ड बता दिया, और वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया तो विज्ञान हो गया। अध्यात्म को ढोंग बता दिया, व्यर्थ साबित कर दिया। महाराज ने कहा, सबसे बड़ा विज्ञान तकनीक, धैर्य, मानवता, प्रेम, शांति आध्यात्म के द्वारा ही प्रवाहित होती है। धर्म की धन कमाने का उद्देश्य नही बनाना चाहिए।
अंत में उन्होंने पत्रकारों की तुलना नारद मुनि से कर कहा कि- नारद जैसा जर्नलिस्ट कोई दूसरा हुआ नहीं। उनकी पैठ हर जगह थी, हर जगह सम्मान था। यही स्थिति आज के जनर्लिस्ट की है। यही जर्नलिस्ट राष्ट्र के निर्माण के लिए शब्दों को लोगों के दिलो में, मन में पहुँचाने का प्रयास करते है।
