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अभय अग्रवाल, शकील मंसूरी, स्वेता पुरोहित, अहमद मनिहार के भाग्य का फैसला करेगी जनता!!
गोंदिया। 9 दिसंबर
गोंदिया नगर परिषद चुनाव में 44 में से 41 नगर सेवक एवं नगराध्यक्ष पद का चुनावी मतदान 2 दिसंबर 2025 को संपन्न हुआ। परंतु ऐन चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को प्राप्त हुए कुछ आक्षेप के बाद गोंदिया नगर परिषद के प्रभाग क्र.11, 16 और 3 में एक-एक सीट के चुनाव रद्द कर दिए गए थे। अब इन्ही शेष सीटों पर चुनाव आगामी 20 दिसंबर को होने जा रहे है, जिस पर सबकी नजर गढ़ी हुई है।
पिछले 2 दिसंबर को संपन्न हुए नगरसेवक व नगराध्यक्ष के चुनाव होने के बाद 3 दिसंबर को मतगणना होनी थी, परन्तु राज्य में गोंदिया सहित अनेक सीटों के रुके चुनाव को लेकर उच्च न्यायालय ने इन सीटों पर चुनाव 20 दिसंबर को कराने व 21 दिसंबर को संपूर्ण चुनाव की मतगणना के आदेश देने से राजनीतिक भूचाल आ गया था। कुछ सीटों के कारण मतगणना में देरी होने से प्रत्याशियों की सांसें फंस गई है। अब 20 दिसंबर को चुनावी मतदान की प्रक्रिया को लेकर सबकी नजरें गड़ी हुई है।
शेष 3 सीटों क्रमशः 11, 16 एवं 3 में सबसे महत्वपूर्ण सीट बाजार की हॉट सीट प्रभाग 11 है। ये सीट हॉट इसलिए बनीं हुई है क्योंकि ये राजनीतिक नेताओं का गढ़ है। क्षेत्र के भाजपा विधायक विनोद अग्रवाल इस सीट को अपने गढ़ के रूप में देख रहे है वहीं कांग्रेस के पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल इस सीट को हमेशा जिताते आ रहे है। गोपालदास अग्रवाल और उनके परिवार का मतदान इसी प्रभाग में है वही भाजपा का इसी सीट पर वर्चस्व कायम है।
भाजपा ने इस सीट से मजबूत प्रत्याशी अभय अग्रवाल को मैदान में उतारा है। अभय अग्रवाल, पूर्व मंत्री एवं पूर्व विदर्भ के भाजपा के दिग्गज व चहेते नेता डॉ. परिणय फुके के ख़ासमखास है। डॉ. फुके स्वयं चाहते है कि ये सीट भाजपा के पास हो, इसके लिए उन्होंने विधायक विनोद अग्रवाल के नेतृत्व पर पूरी भाजपा को चुनाव में झोंक दिया है।
दूसरी तरफ पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल के कट्टर समर्थक शकील मंसूरी कांग्रेस से मैदान में है। शकील मंसूरी इस सीट से पिछले 3-4 बार से नगरसेवक रहे है। शकील मंसूरी को इस सीट से विजयी दिलाने गोपालदास अग्रवाल व पूरी कांग्रेस ने दम लगा दिया है।
इन दोनों के बीच एक प्रत्याशी ऐसा भी है जो दोनों की राजनीतिक धुरा को उखाड़ने मशक्कत के साथ मैदान में है। सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र (मोंटू) पुरोहित की धर्मपत्नी स्वेता पुरोहित पूर्व में कांग्रेस से नगर सेवक रही है। कांग्रेस के बाद पुरोहित ने भाजपा का दामन थाम लिया, पर भाजपा से टिकट न मिलने पर स्वेता पुरोहित निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है।
इस बीच एक निर्दलीय प्रत्याशी और है जो, मैदान में दम लगाये हुए है। अहमद मनिहार भी इस प्रभाग में लगातार अपनी कार्यशैली से लोगो की पसंद बनें हुए है।
6 हजार से अधिक के मतदाता वाले प्रभाग में प्रत्याशियों की टक्कर काँटे की मानी जा रही है। राजनीतिक नूराकुश्ती में प्रभाग 11 राजनीतिक अखाड़ा बन चुका है। इस चुनाव में असली टक्कर भाजपा-कांग्रेस में देखी जा रही है। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि, वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने प्रत्याशियों को बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। मुख्य कारण 2 दिसंबर की वोटिंग को माना जा रहा है। जो जुनून 2 दिसंबर को मतदाताओं में रहा, वो जुनून इस चुनाव में फीका पड़ सकता है।
