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सांसद पडोळे और बैंक अध्यक्ष फुंडे के बीच चुनावी लड़ाई से गर्मा गया बैंक चुनाव
हटा प्रतिनिधि। 26 जुलाई
भंडारा। कल 27 जुलाई को 21 संचालक सदस्य के लिए होने जा रहे भंडारा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ओपरेटिव बैंक चुनाव के मतदान को लेकर कांग्रेस की शेतकरी परिवर्तन पैनल और एनसीपी-भाजपा-शिवसेना की सहकार पैनल आमने सामने है।
गोंदिया में 19 जुलाई को संपन्न हुए गोंदिया जिला बैंक चुनाव में भले ही सत्ता एनसीपी-भाजपा-शिवसेना की काबिज हो गई है पर भंडारा में कांग्रेस किसानों के हित के लिए अकेले लड़कर 20 साल के राज को खत्म कर किसान सत्ता काबिज करने हुंकार भर रही है।
भंडारा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को ओपरेटिव बैंक चुनाव में एक तरफ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले,
पूर्व सांसद शिशुपाल पटले, पूर्व विधायक अनिल बावनकर, विधायक अभिजीत वंजारी, चरण वाघमारे शेतकरी परिवर्तन पैनल को जिताने मैदान में डटे हुए है। वहीं दूसरी तरफ सहकार की जीत के लिए सांसद प्रफुल पटेल, पूर्व विधायक राजेन्द्र जैन, विधायक डॉ. परिणय फुके, विधायक राजू कारेमोरे, विधायक नरेंद्र भोंडेकर मैदान में मोर्चा संभाले हुए है।
बैंक चुनाव में असली चुनावी जंग सहकार क्षेत्र के लोकप्रिय दिवंगत नेता यादोराव पडोले के पुत्र एवं भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ. प्रशांत पडोले और 20 साल से बीडीसीसी बैंक के अध्यक्ष सुनील फुंडे के बीच है।
सांसद प्रशांत पडोळे और बैंक अध्यक्ष सुनील फुंडे दोनों एक दूसरे के सामने दुग्ध सहकारी संस्था गट से उम्मीदवार है। यहां दुग्ध संघ गट से होने वाली चुनावी लड़ाई में कुल 143 मतदाता मतों के अधिकार का उपयोग कर सांसद पडोले और सुनील फुंडे की जीत हार का फैसला करेंगे।
भंडारा बैंक का चुनाव गोंदिया की तुलना में तगड़ा टक्कर का माना जा रहा है। इस बार नाना पटोले बैंक में सत्ता स्थापित करने एडिचोटी का जोर लगा रहे है। सांसद डॉ. प्रशांत पडोळे के बैंक चुनाव में उतरने से इसे भंडारा और गोंदिया की राजनीति में बड़े स्तर पर देखा जा रहा है। सांसद पडोळे के लिए ये चुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा का चुनाव माना जा रहा है। वो सहकार क्षेत्र के दिवगंत नेता यादोराव पडोले के पुत्र है जिन्होंने सहकारीता के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है।ऐसे में अगर मान लो कि सांसद पडोले की पराजय होती है तो उनका निश्चित ही राजनीतिक कैरियर समाप्त हो जाएगा।
सांसद पडोळे चुनाव में जीत दर्ज करने अनेक प्रकारों से 20 साल से सत्ताधारियों पर आरोप लगा रहे है। उनका कहना है कि 20 सालों से जिन लोगो ने बैंक में किसानों के वोटों पर सत्ता सुख भोगा वो किसानों के हित के लिए नही खुद के स्वार्थ के लिए बैंक का उपभोग कर रहे है। आज तक बैंक के मुख्यालय का निर्माण नही कराया। किसानों को कर्ज देने में अत्यधिक परेशान किया। उनके बच्चों को कोई कर्ज या सहुलियत नही दी। बैंक की सत्ता में बैठे लोगों ने बैंक का उपयोग राजकीय फायदे के लिए किया है। ऐसे लोगो से किसानों की बैंक को बचाने ही मैं मैदान में हूँ।
कल 27 जुलाई को होने जा रहे बीडीसीसी बैंक के 21 संचालक मंडल के चुनाव हेतु मैदान में कुल 46 उम्मीदवार मैदान में है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि सत्ता किस करवट बैठती है।