गोंदिया, 18 जून : हमारे जिले की पहचान और महाराष्ट्र की शान कहे जाने वाले, खूबसूरत सारस पक्षियों की घटती संख्या हमारे जिले का गौरव छीन रही है। पिछले पांच सालों में सारस पक्षियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने की बजाए उनकी संख्या में कमी आयी है जो चिंता का सबब बनी हुई है।
गौरतलब है कि इस साल जिले में सारस पक्षी गणना 16 जून 2025 को सारस के अधिवास वाले ठिकानों पर की गई। इस सारस गणना में वन विभाग, सेवा संस्था और सारस मित्रों के साथ किसानों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।
सारस के अधिवास वाले बसेरों बाघ नदी,वैनगंगा नदी, मीठे तालाब, खेत परिसर ऐसे कुल 53 ठिकानों पर कुल 35 टीमों के करीब 140 से 150 सारस मित्रो ने जाकर गणना की जहां उन्होंने कुल 30 सारस पक्षियों की गणना दर्ज की। वही एक दिन पूर्व मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में इसी नदी के उस चोर के क्षेत्रों में सारस गणना में वन विभाग और सेवा संस्थान के सारस मित्रों ने 48 सारस पक्षियों की गणना दर्ज की।
बड़ी शोकांतिका की बात है कि सारस पक्षियों की सुरक्षा की दृष्टि से इतना संवर्धन, संरक्षण होने के बावजूद हमारे जिले में सारस की संख्या बालाघाट की अपेक्षा कम है।
गोंदिया की शान सारस पक्षी भारत वर्ष में बड़े दुर्लभ पक्षी माने जाते है। ये आकार में बहोत बड़े तक हो सकते है। वर्ष 2022 में मारे गए एक पुराने सारस जोड़े की लंबाई करीब 5 फुट 8 इंच दर्ज की गई थीं। कई वर्षों से सारस गोंदिया, भंडारा और बालाघाट को अपना बसेरा मानकर यहां अधिवास कर चुके है। इनके गले से मुँह तक का भाग डार्क लाल एवं चोंच का भाग सफेद और शेष भाग सफेद हल्का सिमेंटी रंग का होता है जो देखने मे बेहद खूबसूरत लगता है।
दोनों जिलों गोंदिया और बालाघाट जिले के बीच बहने वाली बाघ, वैनगंगा नदी के किनारे वहां की आबो हवा, मीठे पानी के तालाब, जीव विविधता इनके बसेरों को बढ़ावा देने हेतु बेहतर स्थान है।
सारस गणना पर पांच सालों के रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाए तो साल 2020 में 45 सारस पक्षी थे। 2021 में इनकी संख्या घटकर 39 रह गई। इसी तरह 2022 में 34, 2023 में 31, 2024 में 28 और अब 2025 में 30 रह गई। हमनें पांच सालों में सारस पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी करने की बजाए 15 सारस पक्षी यों को खो दिए।
इस साल भंडारा जिले में गणना के दौरान वन विभाग और सीट संस्था की टीम को दो जोड़ो में 4 सारस पक्षी दिखाई दिए। वही मध्यप्रदेश के बालाघाट में सर्वाधिक 48 पक्षियों की गणना दर्ज की गई।
सारस के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए शासन स्तर पर बनायी जाए योजना…
सारस पक्षियों के संवर्धन, संरक्षण हेतु निजी संस्था, वन विभाग एवं किसान भले ही कितनी ही मेहनत कर रहे हो, पर शासन की ओर से उचित दिशा निर्देश और उपाय योजना हेतु विशेष योजना लागू न होने से हम सारस को खोते जा रहे है। हमनें दिखावें के लिए सारस चौक बना दिया, सारस के बड़े बड़े चित्र अपनी आभा के लिए बना दिये।, पर हक़ीक़त यही है कि हम सारस को बचाने और उसकी संख्या में बढ़ोत्तरी के लिए कोई ठोस पहल नही कर पा रहे।