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ट्रस्ट की याचिका ख़ारिज होने पर, संस्था के ट्रस्टी ने प्रशासन से की मांग..
प्रतिनिधि।
गोंदिया। जिले के अंतिम छोर में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे सालेकसा तहसील के दर्रेकसा स्थित कचारगड (धनेगाव) में एशिया खंड की सबसे बड़ी प्राकृतिक गुफाएं है। इस गुफा में अपने पूर्वज तथा आदिवासी के धर्म संस्थापक पारी कोपार लिंगो व मां काली कंकाली के दर्शन के लिए अनेक राज्यों से लाखों लोग यहां आते है।
कचारगड, आदिवासी गोंड समाज का उद्गम स्थल होने से कचारगढ़ में हर साल कोयापुनेम महोत्सव, बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। गोंडी संस्कृति, बोली भाषा, नृत्य, काव्य, सम्मेलन आदि का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी ये महोत्सव 10 फरवरी से 14 फरवरी तक किया जा रहा है।
इस महोत्सव को पारी कोपार लिंगो मां काली कंकाली देवस्थान, कचारगड (धनेगाव) तहसील सालेकसा जिला गोंदिया सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वावधान में किया जाता है। परंतु इस बार इस संस्था के ट्रस्टी द्वारा संस्था के कार्यकलापों के विरुद्ध चैरिटी कमिश्नर के समक्ष आवाज उठाने पर इस मेले के प्रबंधन पर गाज गिर रही है।
कचारगड सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के ट्रस्टी नत्थूलाल ऊइके ने गोंदिया में पत्र परिषद लेकर जानकारी दी कि, संस्था के कार्यकलापो को लेकर जो आपत्ति संयुक्त धर्मादाय आयुक्त नागपुर की पीठ में उठाई गई, उसमें माननीय कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए संस्था की याचिका को खारिज कर जांच के साथ चुनाव कराकर नई समिति बनाने का निर्णय दिया है। इसके तहत आगामी 10 फरवरी से 14 फरवरी तक होने वाले कचारगड महोत्सव के आयोजन को पूर्णतः सफल करने, लाखों भाविकों, श्रद्धालुओं को सहूलियत प्रदान करने जिला प्रशासन इस महोत्सव की जिम्मेदारी अपने हाथ ले ये अपील उन्होंने की है।
कचारगड ट्रस्ट का क्या है मामला..??
पारी कोपार लिंगो मां काली कंकाली देवस्थान, कचारगड (धनेगाव) तहसील सालेकसा जिला गोंदिया यह पीटीआर नं. 264(ब) सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में वर्ष 2002 में चैरिटी कमिश्नर कार्यालय में पंजीकृत संस्था है।
संस्था जब पंजीकृत हुई थी, उसमें 9 सदस्य ट्रस्टी थे। ट्रस्ट बनने के बाद 2005 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनाव नही हुआ। जबकि 8 साल बाद 2013 में चुनाव कराया गया। ट्रस्ट के 9 में से 3 पदाधिकारियों की मौत होने के बाद 1 पदाधिकारी नत्थूलाल उईके को संस्था से हटाने के लिए 2013 में ही चैरिटी कमिश्नर गोंदिया कार्यालय में परिवर्तन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसपर संस्था के ट्रस्टी नत्थूलाल ऊइके ने आपत्ति दर्ज की। इस मामले पर सहायक धर्मादाय आयुक्त गोंदिया ने जांच पड़ताल कर परिवर्तन रिपोर्ट की याचिका को अस्वीकार कर दिया।
संस्था पदाधिकारीयों ने नाम परिवर्तन की इस याचिका को अस्वीकार और खारिज होने पर संयुक्त धर्मादाय आयुक्त नागपुर को अपील की गई। संयुक्त चैरिटी कमिश्नर नागपुर क्षेत्र की पीठ ने 28 नवंबर 2024 को फैसला सुनाते हुए उनकी अपील को भी खारिज कर गोंदिया सहायक धर्मादाय आयुक्त के फैसले को सुरक्षित रखा।
पत्र परिषद में नत्थूलाल ऊइके, उषाकिरण आत्राम, राजेश कोकाडे, प्रह्लाद पंधरे, गोरेलाल सोरी की उपस्थिति रही।