देशसेवा में समर्पित महान पुरोधा, अदम्य साहस के प्रणेता शिक्षा महर्षि स्व. मनोहरभाई पटेल

456 Views

(9 फरवरी जयंती पर विशेष लेख..)

9 फरवरी का दिवस, गोंदि्या और भंडारा जिले के वासीयों के लिए एक एतिहासिक दिन के रूप में जाना जाता है। इस दिन उस महान आत्मा ने जन्म लिया था जिसने खुद के हौसलों से शिक्षा का अलख जगाकर उसकी रोशनी को दूर-दूर तक फैलाने का कार्य किया था। उस महान आत्मा ने इस पिछड़े, दुर्गम और शिक्षा से कोसो दूर अविकसित जिले में शिक्षा की क्रांति लायी, शिक्षण संस्था की बुनियाद रखकर स्कूलों- कॉलेजों की स्थापना की, शिक्षा का संचार किया।
आज उसी का परिणाम है कि उस महान आत्मा जिसे स्वनामधन्य, शिक्षा महर्षि और कर्मयोगी कहा जाता है उसके संकल्प से भंडारा- गोंदिया जिले में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्रायें देश का भविष्य बनने के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी शिक्षा की आभा बिखेर रहे हैं।
शिक्षा का मलाल उन्हें ता-उम्र रहा…
इस स्वप्न को साकार करने वाले वह महान आत्मा स्व. मनोहरभाई पटेल थे, जिन्होंने गरीबी और माली हालत में गुजर-बसर कर वो दिन भी कांटे जो दिन भगवान किसी भी व्यक्ति को ना दिखायें। परिवार की निर्धनता के कारण स्व. मनोहरभाई पटेल ने शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएँ। इसका मलाल उन्हें ताउम्र रहा।
मनोहरभाई पटेल ये नहीं चाहते थे कि हमारे देश का भविष्य, बिना शिक्षा के ऐसा अंधकारमय हो। उन्होंने हर युवा के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा की शुरूआत भंडारा और गोंदिया जिले से की। मनोहरभाई पटेल की दृढ़ बुनियाद पर टिकी गोंदिया शिक्षण संस्था, आज शिक्षा का वो पेड़ बन चुकी है जिसकी टहनियों की छांव में 1 लाख से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर, इंजिनियर, मेकेनिकल, साफ्टवेयर इंजिनियर तथा नौकरीपेशा, उद्योगपती, सफल कारोबारी एवं सफल एग्रीकल्वर विशेषज्ञ बन रहे हैं। इन शिक्षा मंदिरों के माध्यम से हजारों लोग शिक्षक बनकर रोजगार प्राप्त कर रहे और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे है।
गोदिया-भंडारा समेत 
विदर्भ का नाम रोशन किया…
स्व. मनोहरभाई पटेल ने सदैव इस क्षेत्र के लिए अपनत्व की भावना अपनाई। उनकी क्रॉंतिकारी सोच और देश के लिए समर्पित भावना को देखकर उनकी पैंठ और पहचान देश के बड़े-बड़े राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाज सुधारकों, संतो और क्रांतिकारियों से भी रही। उन्होंने उस दौर सन 1958 में, जब शिक्षा का ग्राफ एकदम गिरा हुआ था उस समय शिक्षा, रोजगार के संसाधन स्थापित कर देश में
गोदिया-भंडारा सहित विदर्भ का नाम रोशन किया।
कहते है कि जिस समय देश के बड़े-बडे शहरों में सिमेंट रोड नहीं हुआ करती थी उस दौर में सिमेंट सड़कों का निर्माण मनोहरभाई पटेल ने अपने इस पिछड़े जिलों में करवाकर विकास का पायदान मजबूत किया था।
बड़े-बड़े जलाशय मनोहरभाई की देन…
मनोहरभाई पटेल ने शिक्षा के साथ-साथ इस क्षेत्र के किसानों को अत्यधिक फसल उत्पादक बनाने के लिए मनोहर सागर, कालीसरार, पुजारीटोला एवं कई ऐसे छोटे-बड़े प्रकल्प, मामा तालाब का निर्माण करवाया जो आज भी जिले के खेतीहरों के लिए वरदान साबित हो रहे है।
कर्मयोगी मनोहरभाई पटेल आत्मीय शक्ति को समझने वाले संत विचारक भी थे। उनकी संत-महात्माओं में भी विलक्षण आस्था थी मनोहरभाई पटेल के राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज से निकटता साफ देखी गई। उनके 50 वें जन्मदिवस पर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने उन्हें काव्यमय संदेश भेजकर उनकी कार्यशैली से सराहा था।
मनोहरभाई पटेल के सपनों को
गतिशील बनाया प्रफुल पटेल ने…
मनोहरभाई पटेल ने जिस छोटी सी आभा के साथ शिक्षा की रोशनाई यहां बिखेरी थी, आज उसी रोशनी को जमाने में फैलाने के लिए उनके पुत्र प्रफुल पटेल अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए हरसंभव निरंतर प्रयास कर रहे है। मनोहरभाई पटेल अकादमी के माध्यम से सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, क्रिडांगण, कृषि, आरोग्य, सहायता आदि-आदि कार्यक्रमों के माध्यम से अनेक ऐसे कार्यक्रम साकार कर चुके है जिसका लोहा भंडारा, गोंदिया के अलावा पूर्वी विदर्भ मान चुका है।
प्रफुल पटेल ने अपने पिता युगपुरूष, कर्मयोगी एवं शिक्षा महर्षि मनोहरभाई पटेल के उस सपने को इतना गतिशील बनाया है कि आज उस गोंदिया शिक्षण संस्था के माध्यम से लाखों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है और देश विदेश में नौकरी पाकर रोजगार पा रहे है।
होनहार छात्रो को स्वर्ण पदक..
शिक्षा क्षेत्र में होनहार बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए, शिक्षा के स्तर को और उपर उठाने के लिए प्रफुल पटेल प्रत्येक वर्ष 9 फरवरी को अपने पिता के जन्मदिवस के अवसर पर उनकी यादों को और हौसलों को ताजा करने के लिए मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित करते आ रहे है। इतना ही नहीं हर बार किसी महान विभूति, कलाकार, समाजसेवी, देश के जाने माने जानकार, विशेषज्ञ, पत्रकार, उद्योगपती, देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रियमंत्री, मुख्यमंत्री आदि मान्यवरों के हस्ते होनहार छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित करते आ रहे है। ये एक अभूतपूर्व एहसास है उस छात्र के लिए छात्रा के लिए या उस पुरस्कार प्राप्त प्रत्येक व्यक्त्ति के लिए, जब वे किसी महान अतिथी के हाथों सम्मानित होकर स्वयं को गौरान्वित महसूस करते है।
आज यही कारण है कि ऐसी सम्मानता के कारण ही शिक्षा का स्तर यहां बढ़ रहा है, प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपने भंडारा-गोंदिया जिले की ख्याति अर्जित कर रहे है।
मैं उस महान आत्मा के चरणों में शत् शत् नमन
करता हूँ और गर्व महसूस करता हूं कि आज हमारे जिले का जो शैक्षणिक विकास हो रहा है वह सिर्फ और सिर्फ कर्मयोगी मनोहरभाई पटेल के उस हौसलों की उड़ान के कारण ही है जिनकी वजह से अनेकों लोगों को उनकी मंजिल मिल गई है।
हक़ीक़त टाइम्स
  गोंदिया

Related posts