2,010 Views
क्राइम रिपोर्टर। (19 दिसंबर)
गोंदिया। 7 साल से कम उम्र की मासूम से बेरहमी से दरिंदगी करने वाले समाज कलंकित मामले पर आज (19 दिसंबर) को गोंदिया न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए हैवान आरोपी को 43 साल की कठोर सजा सुनायी।
आरोपी संजय राऊत उम्र 19 साल (वर्तमान में 23 साल) के खिलाफ वर्ष 9 अगस्त 2020 को गोंदिया ग्रामीण थाने में पीड़िता की माँ ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
आरोपी संजय राऊत ने घटना वाले दिन 8 अगस्त 2020 को जब पीड़ित मासूम अपने बाल साथियों के साथ घर के बाहर लुकाछिपी खेल रही थी, और घर के बड़े-बूढे खेत पर कार्य हेतु गए थे, तब बाल साथियों को धमकाकर भगा दिया था और अकेले का फायदा उठाकर मासूम पीड़िता को अपने घर ले जाकर उसके साथ दरिंदगी कर उसे घायल कर दिया था।
जब पीड़िता की माँ, दादी शाम को घर लौटी, तब मासूम बच्ची ने रोते रोते सारी घटना बता दी।
पीड़ित बच्ची की माँ की शिकायत पर गोंदिया ग्रामीण पुलिस ने हरकत में आकर त्वरित कार्रवाई पूर्ण की और तत्कालीन जांच अधिकारी रोहीदास भोर (पुउपनि) ने संपूर्ण जांच कर कोर्ट में आरोपी के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की।
इस प्रकरण पर आरोपी के विरुद्ध आरोप सिद्ध करने पीड़िता/सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी. पारधी ने 7 गवाहदारों की गवाही कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की।
मा.श्री ए. टी. वानखेड़े प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायाधीश, गोंदिया ने दोनों पक्षों के बीच हुए युक्तिवाद, पीड़ित मासूम की मेडिकल रिपोर्ट, दस्तावेज, गवाहदारों के बयान को ग्राहय मानते हुए आरोपी संजय राऊत को दोषी मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (अ) (ब) अंतर्गत 20 साल की कठोर सजा और 5 हजार का आर्थिक दंड की सजा सुनाई। दंड रकम न देने पर अतिरिक्त 3 माह की सजा सुनाई।
इसी तरह भादवि की धारा 506 के तहत 3 साल की सजा और 2 हजार दंड की सजा सुनायी। दंड न भरने पर 2 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई।
बाल यौन शोषण से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 साल की सश्रम कारावास सजा और 5 हजार दंड की सजा सुनाई। दंड न भरने पर 4 माह की अतिरिक्त सजा ऐसा कुल 43 सजा और 12 हजार दंड की सजा सुनाई।
इस प्रकरण पर क्या कहते है
सरकारी वकील..!!
इस प्रकरण में पीड़िता की ओर से न्यायालय में युक्तिवाद करने वाले विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी. पारधी ने कहा, आजकल बच्चों पर यौन शोषण, उत्पीड़न के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे है। इसका मुख्य कारण है बच्चों पर हमारा ध्यानकेन्द्रित नही रहना। उक्त मामले में भी ऐसा ही हुआ।
पीड़िता मात्र 7 साल से कम उम्र और आरोपी की उम्र 19 साल थी. आरोपी उसी गांव का रहने वाला था. आरोपी के हौसले तब बुलंद हुए जब नाबालिग लड़की अपने हमउम्र साथियों के साथ खेल रही थी और वहां कोई वयस्क व्यक्ति नहीं था। घर के बड़े खेतो में कार्य हेतु गए थे।
आरोपी ने इसी सूनेपन का फायदा उठाकर मासूम पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न किया। मामले पर विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह गंभीर मामला है और समाज में उक्त फैसले का स्पष्ट संदेश देने के लिए आरोपी को कड़ी सजा देना जरूरी है.
वकील कहते है, माता-पिता और गांव के अन्य लोगों को अपना काम करने के साथ-साथ छोटे बच्चों का भी ख्याल रखना चाहिए। वर्तमान स्थिति समाज की समग्र स्थिति पर नजर डालने पर पता चलता है कि ऐसी अवस्था में बच्चे असहाय होते है एवं अपराध करने वालों के आसानी से शिकार हो जाते हैं।
आए दिन बाल यौन शोषण की घटनाएं सामने आ रही हैं। देखा जा रहा है कि अपराध बढ़ रहा है, इसलिए जरूरी है कि समाज की मानसिकता को पहचानें और माता-पिता अपने बच्चों की उचित देखभाल करें और सतर्क रहें। आज का फैसला इस तरह की क्रूर व समाज को कलंकित करने वाले लोगों के लिए एक सबक और दंड है, जिसे कतई बर्दाश्त नही किया जा सकता।
न्यायालय के इस फैसले की कार्रवाई में पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगळे के मार्गदर्शन में पैरवी पुलिस कर्मचारी आत्माराम टेंभरे ने कामकाज देखा और सरकारी वकील को सहयोग किया।