GONDIA: खूंखार नक्सली “देवसू” ने किया सरेंडर, मारे गए नक्सली कमांडर तेलतुंबडे का था बॉडीगार्ड..

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कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण, 1 साल में 3 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण..

गोंदिया: देश में नक्सलियों को विकास की मुख्यधारा में लाने, उनके जीवन में सुधार लाने तथा उनके गतिविधियों की रोकथाम हेतु महाराष्ट्र में चल रही नक्सल विरोधी मुहिम “नक्सली आत्मसमर्पण योजना” के तहत इस साल 3 माओवादी मूमेंट से जुड़े खूंखार नक्सलियों ने गोंदिया जिला पुलिस व जिला प्रशासन के समक्ष आत्मसर्मपण किया है। इनमें 2024 में संजय पुनेम व देवा मुड़ाम ने पहले सरेंडर किया था, अब साढ़े तीन लाख के इनामी खूंखार नक्सली देवसू उर्फ देसु ने 19 मई को आत्मसमर्पण किया है।
देवसू उर्फ देसु सिर्फ 24 साल का है। वो प्लाटून नक्सली कमेटी का सदस्य और कोर कमेटी सदस्य रहते हुए मारे गए दीपक उर्फ मिलिंद तेलतुंबड़े का बॉडीगार्ड रहा है।
आत्मसमर्पित नक्सली देवसू उर्फ देसु का असली नाम देवा राजा सोडी है, जो कि चीटिंगपारा/गुंडम पोस्ट पामेड, पुलिस स्टेशन तर्रेम तहसील उसूर जिला बीजापुर (छत्तीसगढ़) का निवासी है। इस नक्सली ने जिलाधिकारी प्रजीत नायर, पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे, अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानंद झा के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन लगातार नक्सली मूवमेंट को समाप्त करने निरंतर नक्सली विरोधी अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत वे विविध उपक्रमों के तहत शासन की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों तक पहुँचाने का कार्य कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में ला रही है। जो नक्सली गुमराह कर, लालच में माओवादियों के संगठन में भर्ती हुए है उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में लाने हेतु भी आवाहन किया जाता है।
आत्मसमर्पित नक्सली देवसू उर्फ देसु नक्सली गतिविधियों के अतिसंवेदनशील क्षेत्र का निवासी रहा है। उसके गांव में नक्सली मूवमेंट आम बात रही है। जल,जंगल, जमीन की लड़ाई में भोले भाले नागरिकों को सरकार के  विरुद्ध भड़काकर उन्हें नक्सली संगठन में भर्ती किया जाता है। देसु भी बाल्यावस्था में ही बाल संगठन में भर्ती हुआ था। इसके बाद देवसू 2017 में पामेड पीएल 9 में भर्ती हुआ और शासन के विरुद्ध हथियार उठाएं।
दिसंबर 2017 में उसे कुछ नए भर्ती हुए नक्सलियों के साथ एमएमसी झोन में भेजा गया। अप्रैल 2018 में वो अपने साथियों के साथ एमसीसी जोन (विस्तार एरिया) में दाखिल हुआ। दर्रेकसा, तांडा, मलाजखंड पीएल 3 इस नक्सली दलम के साथ 8-15 दिन काम किया। उस दौरान तत्कालीन एमसीसी जोन प्रभारी मिलिंद तेलतुंबड़े (सेंट्रल कमिटी ) जो मारा गया उसके अंगरक्षक के रूप में नियुक्त हुआ।
गौर हो कि 13 नवंबर 2021 को मर्दिनटोला, जिल्हा- गडचिरोली में हुई नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में मिलिंद तेलतुंबडे सहित 28 नक्सली मारे गए। उस दौरान देवसू और उसके कुछ साथी जान बचाकर भागे थे। इसके बाद देवसू ने माड एरिया में किया ओर वापस पीएल 9 में आ गया।
आत्मसमर्पित नक्सलु देवसू, 2017 से 2022 तक माओवादी संगठन में रहते हुए गोंदिया जिले सहित अन्य जिलों में विविध आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया।
इनमें 1) पुलिस थाने- चिचगड (जिल्हा गोंदिया) अंतर्गत कोसबी जंगल परिसर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (2018).
2) पुलिस थाने- चिचगड (जिल्हा गोंदिया) अंतर्गत तुमडिकसा जंगल परिसर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (2018)
3) पुलिस थाना- गातापार (जिल्हा राजनांदगाव, खैरागड / छत्तीसगड) अंतर्गत तांडा जंगल परिसर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ ( फेब्रुवारी 2019)
4) बकोदा (कान्हा भोरमदेव एरिया) जंगल परिसर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (मार्च 2019)
5) मर्दीनटोला (जिल्हा गडचिरोली)
 जंगल परिसर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ (2021) में सहभागी रहा.

खूंखार नक्सली देवसू का आत्मसमर्पण करने का मुख्य कारण.. 

1) देवसू ने बताया कि, 13 नोव्हेंबर 2021 को जब गडचिरोली जिले के मर्दिनटोला में पुलिस के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई तब सीसी मेंबर दीपक तेलतुंबडे को उसके सामने गोली लगी और वो मारा गया। तेलतुंबड़े के साथ अनेक छोटे बड़े कैडर मारे गए।इस घटना से वो अत्यधिक भयभीत हो गया। उसे मारे जाने और पकड़े जाने का डर बना रहा।
2) उसने बताया कि नक्सली संगठना के वरिष्ठ कैडरों को संगठन के ध्येय, उसके आगे का भविष्य पता न हो पाने के कारण सबकी जिंदगी दांव में लगी हुई थी।
3) उसने ये भी कहा कि, नक्सली संगठन के वरिष्ठ कैडर संगठन को चलाने हेतु पैसे/फंड जमा करने कहते है पर वो पैसा वे सिर्फ खुद के फायदे के लिए खर्च करते है। सरकार की विविध कल्याणकारी योजना चलाये जाने पर अब जनता का नक्सली मूवमेंट को उतना साथ नही मिलता, जिस कारण वे आत्मसमर्पण कर रहे है।
उसने कहा कि, माओवादी नेता ये सिर्फ खुद के फायदे के लिए गरीब आदिवासी युवक-युवतियों का उपयोग कर रहे है। दलम में रहते हुए शादी होने के बाद भी वैवाहिक जीवन बसर करना मुमकिन नही। परिवार में कठिनाइयां, परेशानियां आने पर भी हम मदद नही कर सकते। समय पर भोजन नही मिलता, जंगल में रहने के दौरान बीमार होने पर कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नही होती। पुलिस के मुखबिर बढ़ गए है जिससे अनेक नक्सली मारे गए। अब जंगल में रहना कठिन है। वरिष्ठ कैडर पुलिस खबरी होने के शक पर निरपराध आदिवासियों, आम नागरिकों को मार डालने का हुक्म देते है जो कि कदाचित उचित नही। इसलिए मैंने आज इस जोखिम भरे रास्ते को छोड़कर महाराष्ट्र सरकार की आत्मसमर्पण योजना के तहत समर्पण करने का फैसला लिया।
इस नक्सली आत्मसमर्पण कार्रवाई को पुलिस अधीक्षक गोरख भामरे, अपर पोलीस अधीक्षक, नित्यानंद झा, के मार्गदर्शन में पुलिस निरीक्षक- प्रमोद भातनाते, पुलिस उपनिरीक्षक श्रीकांत हत्तीमारे, अंमलदार स.फौ. अश्विनीकुमार उपाध्याय, पोहवा. अनिल कोरे, पो.शी. अतुल कोल्हटकर, चंदन पटले, मपोशी. लीना मेश्राम, चालक पो.ना. उमेश गायधने नक्सल सेल गोंदिया ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

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