गोंदिया: हंसना-रोना सीखने से पहले ही हो गई दो बालिका अनाथ, 80 साल की बूढ़ी नानी के कांधों में दर्द की गठरी

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प्रतिनिधी।

गोंदिया। जिले की गोरेगांव तहसील अंतर्गत खाडीपार ग्राम पंचायत में आदिवासी परिवार की दो बहना जिन्हें हंसना-रोना समझता ही नहीं कि उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। परिवार में ८० वर्ष की उनकी नानी है, लेकिन स्वयं का ही पेट पालना उसके लिए मुश्किल भरा काम है। ऐसे में दो छोटी बच्चियों का पालन-पोषण कैसे करेंगी? उनके जीवन में अंधकार छा गया है। यदि समय पर दानसूरों द्वारा मदद पहुंची तो उनके जीवन में नई खुशियां आ सकती है।

खाड़ीपार ग्राम के सुरज मरस्कोल्हे (४०) को चार वर्ष की वैष्णी व तीन वर्ष की आरती नामक दो बेटियां है। लेकिन सुरज की मृत्यु के मामूली बीमारी से एक वर्ष पूर्व ही हुई, उसके बाद उसकी पत्नी सीमा की भी मृत्यु मई माह २०२१ में हो गई। दोनों बच्चियों के माता-पिता की मृत्यु होने से दोनों बहना अनाथ हो गई है। जबकि वैष्णवी व आरती को हंसना-रोना-बोलना क्या होता है यह समझ भी नहीं है। उनकी नानी ८० वर्ष की है। उसकी आर्थिक हालत इतनी दयनीय स्थिती में है कि स्वयं का पेट भरना मुश्किल हो गया है। ऐसे में दोनों बच्चियों की परवरिश कैसे होगी यह उपरोक्त हालत को देखते हुए समझा जा सकता है। अभी तक इन दोनों बच्चियों की परिस्थिती शासन के सामने नहीं आने से पीडि़तों तक मदद नहीं पहुंच पाई है। समय रहते मदद नहीं मिली तो बच्चियों का जीवन अंधकारमय हो जाएगा। ..

जुबान से निकलता है मम्मी का नाम.. 

वैष्णवी व आरती जब सुबह नींद से उठती है तो सबसे पहले उनके जुबान पर मम्मी का नाम आता है। तब उनकी नानी उनका ध्यान भटकाने के लिए खिलौने या चॉकलेट देकर समझाईश करती है। उन्हें यहां तक नहीं पता कि हमारे माता-पिता की मृत्यु हो गई और मृत्यु भी क्या होती है इस शब्द से वह अंजान है।

आदिवासी विभाग के कर्मी करेंगे मदद 

चार वर्ष की वैष्णवी व तीन वर्ष की आरती यह दोनों बच्चियां अनाथ हो गई है। इसकी जानकारी, आदिवासी विभाग के कर्मचारी शैलेष नंदेश्वर, सरपंच दिनेश टेकाम, उपसरपंच यशवंत कावडे द्वारा मिलते ही उन बच्चियों की परवरिश के लिए एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प तथा अन्य संस्था संचालकों से मदद करने की बातचीत शुरू कर दी गई है, जल्द ही मदद के हाथ बच्चियों तक पहुंच जाएंगे। जो भी शासन की योजना है, उन्हें प्रभावी रूप से पहुंचाई जाएगी। दानसूरों से आव्हान है कि बच्चियों के उज्वल भविष्य के लिए आगे आए।
विकास राचेवार, प्रकल्प अधिकारी, आदिवासी विकास विभाग, देवरी

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