2015 में महाराष्ट्र सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री रहते हुए राजकुमार बडोले के प्रयासों से सरकार ने खरीदी किया था ये घर..


राजकुमार बडोले ने लंदन के इस घर पर पहुँचकर यादों को ताजा किया और कहा, यह इमारत महज एक घर नहीं है, यह सामाजिक परिवर्तन का प्रमाण है। यह मकान, जिसमें बाबासाहेब लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान रहा करते थे, अब वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।
लंदन यात्रा के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए राजकुमार बडोले ने कहा, “इस पवित्र घर में खड़े होकर, बाबासाहेब का आदर्श वाक्य ‘सीखो, संगठित हो, संघर्ष करो’ मेरे मन में गूंजता रहा। जिस घर में उन्होंने रहकर ज्ञान अर्जित किया, वह आज भी मुझे प्रेरणा देता है। यह स्मारक हजारों वर्षों से अन्याय सहने वाले शोषित और वंचितों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि उस घर के बगल से चलने वाली ट्रेन में आज भी बाबासाहेब के संघर्ष की पल-पल की आवाज गूंजती रहती है। जब मैं इस स्मारक पर गया तो मेरे मन में अध्ययन में लीन बाबासाहेब की छवि जीवंत हो उठी। बडोले ने भावुक होकर कहा, “वह ज्ञान के प्रकाश से जाति व्यवस्था के अंधकार को दूर करने का प्रयास कर रहे थे, न केवल अपने लिए, बल्कि लाखों लोगों के भविष्य के लिए।”
बाबासाहेब द्वारा उपयोग की गई पुस्तकें, लेखन सामग्री, तस्वीरें और घर की सादगी को देखकर मन में कई विचार आते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह भवन सिर्फ एक स्मारक नहीं है, बल्कि सामाजिक क्रांति का प्रतीक है।