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ज़ाहिद खान।
गोंदिया। आज 1991 के बाद नागपुर विधानभवन में 33 सालों बाद महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट की शपथ विधि संपन्न हुई। इस शपथ विधि में 33 सालों बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार में 33 कैबिनेट मंत्रीयों और 6 राज्यमंत्रीयों ने शपथ ग्रहण की।
विदर्भ के नागपुर में आयोजित इस शपथ ग्रहण को लेकर पूरा विदर्भ उत्साहित रहा। पूर्व विदर्भ के गोंदिया और भंडारा जिले की जनता को आस थी कि, महायुति सरकार के माध्यम से भंडारा और गोंदिया जिले को एक-एक मंत्रिपद मिलेगा। दोनों जिलों का विकास तेजी से होगा। परंतु एक के बाद एक विधायक मंत्रीपद की शपथ लेते रहे पर दोनों जिलों की 6 सीटों से जीत दर्ज करने वाले किसी विधायक का नंबर तक नही लगा।
भंडारा-गोंदिया जिले में कुल 7 सीट विधानसभा की है। इन 6 सीटों में से भाजपा ने गोंदिया, आमगांव, तिरोडा से 3 सीट, अजित पवार एनसीपी ने तुमसर, अर्जुनी मोरगाँव से दो सीट एवं शिंदे शिवसेना ने भंडारा से 1 सीट पर जीत दर्ज की है। वही साकोली सीट पर मात्र कुछ वोटों से भाजपा चुनाव जीतते हुए हार गई।
भाजपा के साधारण प्रतिद्वंद्वी ने कांग्रेस के दिग्गज प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले को नजदीक से हार दिखाने का सामना कर जीतते हुए हार गई। गोंदिया विधानसभा सीट से आजादी के बाद से कभी भाजपा ने यहां खाता नही खोला था, पर भाजपा प्रत्याशी विनोद अग्रवाल ने 61 हजार से अधिक मत लेकर कमल खिलाकर इतिहास कायम किया।
तिरोडा के भाजपा से विधायक विजय रहांगडाले तीसरी बार विजयी हुए वही शिवसेना से नरेंद्र भोंडेकर ने हैट्रिक मारी। इतना ही नही राज्य में बहुजन का चर्चित चेहरा पूर्व केबिनेट मंत्री राजकुमार बडोले एनसीपी से चुनाव जीते फिर भी उन्हें दरकिनार किया गया।
जनता सवाल कर रही है कि, महायुति में इतना शानदार रिजल्ट देने वाले भंडारा-गोंदिया जिले को मंत्रिमंडल में जगह क्यों नही दी गई। एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बाद दूसरे नंबर के नेता सांसद प्रफ़ुल्ल पटेल के रहते उनके गृहक्षेत्र में मंत्रिपद क्यों नहीं?
जनता कह रही है कि अगर मंत्रिपद मिलता तो महायुति कार्यकर्ताओ को दम मिलता। दोनों जिलों के विकास को नई राह और गति मिलती।